मिनिमली इन्वेसिव स्पाइन सर्जरी’ तकनीक से स्पाइन के फ्रैक्चर का सफल ऑर्परेशन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। सामान्यतः रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन में पीठ में बड़े चीरे के द्वारा मांसपेशियों को फैलाकर, वर्टेब्री में स्क्रू एवं रॉड लगाकर स्थिर किया जाता है। जिससे मरीज़ को जल्दी बैठाया जा सके। इस प्रक्रिया में सामान्यता मांसपेशियों को ज्यादा नुक़सान होता है ,रक्तस्राव भी ज़््यादा होता है,लेकिन एमआईएस तकनीक से सिर्फ़ एक सेंटीमीटर के चीरे द्वारा सी.आर्म एक्सरे मशीन में देखकर स्पाइन में सटीकता के साथ स्क्रू डाला जाता है । इस सर्जरी में सामान्य मांसपेशियों को ज़्यादा नुक़सान नहीं होता है, रक्त स्त्राव भी बहुत कम होता है । मरीज़ को ऑपरेशन के बाद जल्दी ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है , संक्रमण का ख़तरा भी कम हो जाता है।
न्यूरोसर्जरी विभाग में डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि 21 वर्षीय मरीज घर में फिसलकर गिर गई थी। जिसकी वज़ह से उन्हें रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया और स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव भी था। मरीज़ की पीठ में असहनीय दर्द और पैरों में सुन्नपन भी था। हैलट अस्पताल में उन्होंने अपनी टीम के साथ इसका ऑपरेशन नवीन तकनीक से किया। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से सबसे ज़्यादा लाभ मांसपेशियों को मिलता है सामान्य ओपन सर्जरी में मांसपेशियों को हड्डी से अलग कर दिया जाता है ,जिससे दर्द की संभावना ज़्यादा होती है और कुछ समय पश्चात वहाँ की मांसपेशियां सिकुड़ भी जाती हैं। एमआईएस तकनीक से स्पाइन इंजरी के मरीज़ों को बहुत फ़ायदा मिलता है। ऐसे मरीज़ों को शीघ्र ही ऑप्रेशन करके चलाया जा सकता है। अगर हड्डी का कोई टुकड़ा स्पाइनल कॉर्ड को दबा रहा है ,तो उसको वापस अपनी जगह पर फिक्स करके एमआईएस तकनीक से स्क्रू डालकर मरीज़ को शीघ्र ही चलाया जा सकता है। अब मरीज़ को दर्द में आराम है और उसको अगले ही दिन चला दिया गया। ऑपरेशन की टीम में न्यूरो सर्जन डॉ. अनुराग यादव ,डॉ. प्रितेश कुमार एवं डॉ. सुनील रहे व एनेस्थीसिया डॉ. सतेंद्र की टीम ने दिया । हैलट में यह ऑपरेशन आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क किया गया। प्राचार्य डॉ.संजय काला ने पूरी टीम को इस सफल ऑपरेशन के लिए बधाई दी।