कुष्ठ रोग का इलाज अब सम्भव : डॉ पवन सिंह
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | कुष्ठ दिवस पर ज्यादा फोकस एक समावेशी समाज बनाने और कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने की तत्काल आवश्यकता पर केंद्रित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया । रीजेंसी हेल्थ के डाक्टरों के अनुसार
कुष्ठ रोग का अब इलाज संभव है। फिर भी अब भी यह बीमारी समाज में बोझ बनी हुई है। कई व्यक्ति सफलतापूर्वक इलाज के बाद भी अपने समुदायों और कार्यस्थल पर सामान्य लोगों की तरह सम्मान नहीं पाते हैं। यह बहिष्कार सदियों पुरानी मिथकों और गलत धारणाओ से पैदा हुआ है, जिससे उनके साथ भेदभाव होता है और समाज में फिर से शामिल होने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता है। एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर देते हैं कि कुष्ठ रोग से जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करना। जब व्यक्ति मूल्यवान और समर्थित महसूस करते हैं, तो वे जल्दी इलाज कराने और लॉन्ग टर्म कॉम्प्लिकेशन से बचने की ज्यादा संभावना रखते हैं। रीजेंसी हेल्थकेयर कानपुर में डॉ. पवन सिंह, कंसलटेंट, डर्मैटोलोजिस्ट ने कहा, "समावेश (इंक्लूजन) बेहतर देखभाल की आधारशिला है।" "कुष्ठ रोग सिर्फ़ एक बीमारी नहीं है; बल्कि यह एक सामाजिक मुद्दा है। वास्तव में बदलाव लाने के लिए हमें इस बीमारी को ठीक करने और इससे प्रभावित लोगों को गले लगाने दोनों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जागरूकता फैलाकर, शुरुआती डायग्नोसिस को प्रोत्साहित करके और इससे जुड़ी गलत धारणाओं को खत्म करके हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जो सभी को ऊपर उठाए और सशक्त बनाए, भले ही उन्हें चाहे कोई भी बीमारी हो”
चिकित्सा प्रगति ने कुष्ठ रोग को मल्टी ड्रग थेरेपी से पूरी तरह से इलाज़ के योग्य बना दिया है। वर्तमान में रिकमेंडेड इलाज़ पद्धति में तीन दवाएँ शामिल हैं: डैप्सोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमाइन। MDT के रूप में जाना जाने वाला यह कॉम्बिनेशन बीमारी को प्रभावी ढंग से ठीक करता है और इसे फैलने से रोकता है। नर्व्स डैमेज या विकलांगता जैसी गंभीर कॉम्प्लिकेशन को रोकने के लिए जल्दी पहचान और इलाज़ का पालन महत्वपूर्ण है। हालाँकि जैसे-जैसे हेल्थकेयर सिस्टम में सुधार हो रहा है, यह मान्यता बढ़ती जा रही है कि प्रभावी इलाज़ को सहानुभूति और सामाजिक समावेश के साथ-साथ चलना चाहिए। यह जरूरी है कि कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्ति न केवल चिकित्सा देखभाल प्राप्त करें बल्कि अपने समुदायों द्वारा स्वीकार और समर्थित महसूस करें, एक ऐसा वातावरण विकसित करें जो समय पर इलाज़ और लॉन्ग टर्म कल्याण को प्रोत्साहित करे।कुष्ठ रोग के लिए नेशनल स्ट्रेटजिक प्लान और रोडमैप (2023-2027) जैसी सरकारी पहल इन चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 2027 तक कुष्ठ रोग के संक्रमण को खत्म करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ ये प्रयास शुरुआती केसों का पता लगाने, सामुदायिक जागरूकता और सक्रिय बीमारी की रोकथाम को प्राथमिकता देते हैं। निकुष्ठ 2.0 डिजिटल पोर्टल जैसे टूल्स केसों को ट्रैक करना और प्रबंधित करना आसान बना रहे हैं। सरकार इस चुनौती का समाधान करने के लिए बहुत ज़रूरी प्रयास कर रही है, इसका समाधान एक संयुक्त दृष्टिकोण में निहित है जो सामाजिक समावेश, जमीनी स्तर की जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी पर ज़ोर देता है। सहानुभूति को बढ़ावा देना और कुष्ठ रोग से जुड़ी गलत धारणाओं को खत्म करना महत्वपूर्ण है, ताकि प्रभावित लोग समय पर इलाज़ कराने और समाज में फिर से शामिल होने के लिए समर्थित और सशक्त महसूस करें।