विश्व गौरैया दिवस पूर्व संध्या पर निकाला गया कैंडल मार्च
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। विश्व गौरैया दिवस की पूर्व संध्या पर गुजैनी स्टेट बैंक चौराहे पर गौरैया के चित्र पर टीका लगाकर जन्मदिन मनाया गया। गौरैया के प्रति जन जागरूकता हेतु कैंडल मार्च निकाला गया। आसपास के क्षेत्र में घूम कर वापस शिव काली मंदिर गुजैनी टेंपो स्टैंड चौराहे पर पहुंचा।
मंच के अध्यक्ष एवं दूर संचार सलाहकार समिति के सदस्य विनोद मिश्र ने कहा वातावरण में बढ़ रहे तेजी से प्रदूषण एवं बढ़ते शहरीकरण के कारण गौरैया चिड़िया विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही है। गौरैया के अस्तित्व पर भी खतरा मडराने लगा है पर्यावरण एवं प्रक्रति का संतुलन बनाए रखने में गौरैया अहम भूमिका अदा करती है गौरैया एक ऐसा पक्षी है जो आबादी वाले क्षेत्रों में आसपास पेडो पर प्रजनन हेतु घोसला स्वयं बनाती है। लेकिन वर्तमान समय में बढ़ रहे शहरीकरण के कारण पेड़ों की बड़ी मात्रा में कटान होने से गौरैया के समक्ष प्रजनन रहने एवं दाना पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है। गौरैया जैव विविधता का प्रतीक है पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका अदा करती है यह कीट पतंगो को खाकर प्राकृतिक कीट नियंत्रण का कार्य करती है यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है गौरैया दिवस वर्ष 2010 में पहली बार आयोजित किया गया था हमारी भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं में भी गौरैया को शुभ माना जाता है गौरैया के आवास एवं दाना पानी की कमी की वजह से उनकी संख्या तेजी से घट रही है गौरैया एक ऐसी पंछी है जो हम सब के बीच में रहना पसंद करती है। सबको याद होगा हमारे बचपन में जब सो कर उठते थे, तो घर आंगन एवं छत पर गौरैया की चीं चीं चीं की आवाज सुनाई देती थी। वहीं पेड़ की डाल पर बैठकर गौरैया चिड़िया हम सबको टुकुर-टुकुर देखती थी। उस समय के घरों में भी आले हुआ करते थे जिसमें गौरैया अपने घोसले बनाती थी, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध मैं उनके आवास छीन लिए उनके समक्ष प्रजनन एवं रहने एवं भोजन एवं पानी की समस्या उत्पन्न हुई। आज हम सभी को संकल्प लेना चाहिए आसपास के पेड़ों घरों में एकांत में गौरैया हेतु लकड़ी के घोसला बनाकर उनके रहने एवं दाना पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। हमारी संस्था जन जागृति मंच हर साल गौरैया दिवस पर बिना कोई सरकारी आर्थिक सहायता चंदा या अनुदान लिए बगैर निस्वार्थ भाव से जन जागरूकता हेतु कार्यक्रम आयोजित करती है। जिसमें प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी वन विभाग कानपुर पधारते रहे हैं हमारी संस्था हर वर्ष कम से कम 21 निशुल्क घोसला वितरण भी करती है इस वर्ष भी गौरैया के लिए संस्था द्वारा 21 पेड़ों पर उनके दाना पानी पात्रों को लगवाया जा रहा है एवं उचित स्थान पर लकड़ी के निशुल्क 21 घोसला टगवाऐ जाएंगे मोबाइल टावरों से निकलने वाली तरंगें भी गौरैया के घटने का कारण है गौरैया पर्यावरण के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है कीटों को अपने बच्चों को खिला ती है हम सभी को आज संकल्प लेना चाहिए कि अपने-अपने घरों के आवास की छत पर सुरक्षित स्थान में लकड़ी के घोंसले एवं दाना पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे इस अवसर पर सर्वश्री विनोद मिश्र, प्रकाश वीर आर्य, दीपक श्रीवास्तव अनिल गुप्ता, अंशु गुप्ता, हरबंस लाल चुघ,मुकेश शुक्ला आदि थे|
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