टीबी रोग को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता पर दिया जोर
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा आज सोमवार को " विश्व टी बी दिवस " पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन "सेवा का मंदिर", आई.एम.ए. कार्यालय, परेड में " किया गया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को डॉ. नंदिनी रस्तोगी, अध्यक्ष, आईएमए कानपुर, डॉ कुणाल सहाय उपाध्यक्ष, डॉ विकास मिश्रा, सचिव, आईएमए कानपुर, डॉ ए के मित्तल , वरिष्ठ क्षय रोग विशेषज्ञ एवं डॉ एम जे गुप्ता वरिष्ठ क्षय रोग विशेषज्ञ ने संबोधित किया। आए हुए पत्रकार बंधुओं का स्वागत करते हुए बताया कि सलंग्न -हर वर्ष विश्व टीबी दिवस २४ मार्च को मनाया जाता है। ताकि दुनिया की सबसे घातक संक्रमण बीमारी , तपेदिक ( टीबी) को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया जा सके टीबी दुनिया भर में लोगो को तबाह कर रही है जिससे गंभीर स्वास्थ्य समाजिक और आर्थिक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस वर्ष का विषय है " हां हम तब को समाप्त कर सकते हैं प्रतिबद्ध हो, निवेश करें, परिणाम दें यह टीबी को समाप्त करने के लिए चल रहे प्रयासों पर विचार करने और समाजिक, राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत प्रतिबद्धता की प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है जिसमें दवा प्रतिरोधी टीबी को बढ़ते खतरे का मुकाबला करना शामिल है। टीबी संक्रमण वायुजनित रोग है जो माइक्रोबैक्ट्रियल ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है जो फेफड़ों को अधिक प्रभावित करता है। टीबी हवा के माध्यम से फैलता है, जब पीड़ित व्यक्ति छींकता और थूकता है। डब्ल्यू एच ओ के लक्ष्यों में २०३० तक टीबी समाप्त करने के लक्ष्य रखा है जो भारत २०२५ तक समाप्त करने को प्रतिबद्ध है। इस सम्बन्ध में यूनियन स्वास्थ्य मंत्री ने १०० दिन का अभियान टीबी और मृत्यु का नियंत्रण निवारण हेतु घोषणा की है जो ३४७ जिलों, ३३ प्रांतों और यूनियन टेरेटरी में टीबी के केस ढूंढने , निवारण में आने वाली देरी को कम करना तथा केसेस को उन्नत टीबी मुक्त भारत की अवधारणा को साकार किया जा सके। टीबी घटना दर २०१५ में २३७ प्रति १,००,००० से २०२३ में घट के १९५ प्रति १,००,००० तक १७.७% कम हुई है। टीबी सम्बन्धी मृत्यु में २१.४% की कमी आई है जो २०१५ में २८ प्रति लाख से घटकर २२ प्रति लाख तक रह गई है। टीबी केस नोटिफिकेशन २,३९४२९२ ( वर्ष २४- २५) लगभग १.८९ करोड़ परीक्षण किया गया सरकार की ओर से टीबी रोगियों के लिए मुफ्त निदान व दवाओं का वितरण कराकर व्यवस्था की गई जिसके अंतर्गत प्राइवेट सेक्टर की सहभागिता भी है। विश्व टीबी दिवस है जो कि हम चिकित्सक मनाने जा रहे हैं. टी बी. की बिमारी एक रोकने एवं इलाज संभव बिमारी है। इस के बावजूद यह बिमारी निरंतर बढ़ रही है जो कि एक चिंता योग्य विषय है। इस बिमारी की निरंतर वृद्धि के कई कारण हैं जिस में प्रमुख रूप से ) सही समय पर रोग को पहचानना (गाइनोसिस्ट करना ) एवं उपयुक्त इलाज करना : इस समस्या को दूर करने के लिए भारत सरकार ने सही समय करता) एवं उपयुक्त इस समस्या को दूर करने के लिए नया कदम उठाया है जिसमें सरकार ने एक सरल व सटीक टेस्ट जिसका निशुल्क मरीजों को उपलब्ध कराया है- इस से टी. बी. की बिमारी को सरलता से पहचाना जा सकता है। टी बी के रोग में वृद्धि का एक कारण यह भी है कि मरीज़ का पूरा इलाज न लेना एवं बीच में ही पूरे कोर्स को छोड़ना इस वजह से एक भयानक टी बी का उत्पन्न होना जिसको कहते हैं । ध्यान रहे बीमारी का इलाज अत्यंत मुश्किल एवं दुर्भाग्यपूर्ण है।
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