मजदूर सभा द्वारा मनाया गया बाबा साहब का जन्मदिवस |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | मज़दूर सभा भवन ग्वालटोली में एटक के द्वारा आयोजित गोष्ठी में डॉक्टर बी आर अम्बेडकर के 135वें जन्मदिवस पर वक्ताओं ने कहा कि अम्बेडकर साहब ने दलितों और मजदूर वर्ग के बीच संबंध को पहचाना और उनके संयुक्त संघर्ष की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने दलितों को भी मजदूर वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित करने की कोशिश की थी। डॉक्टर साहब ने दलितों और मज़दूरों को संगठित करने के लिए इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी, अनुसूचित जनजाति फेडरेशन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का गठन किया था। उन्होंने मजदूरों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा था कि हड़ताल करने का अधिकार है और उसे प्राप्त करने के लिए भी संघर्ष किया। उन्होंने 7 नवंबर 1938 की हड़ताल का नेतृत्व किया था, जो मजदूरों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए थी।अम्बेडकर ने सामाजिक न्याय और समानता की अवधारणा को भी मजबूत किया, जिसका प्रभाव मजदूर वर्ग पर भी पड़ा। उन्होंने संविधान में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को शामिल किया, जिससे मजदूर वर्ग के अधिकारों की रक्षा भी हुई।
अम्बेडकर साहब ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,औद्योगिक विवाद अधिनियम, और ट्रेड यूनियन अधिनियम जैसे श्रम कानूनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने इन कानूनों को लागू करने के लिए भी प्रयास किए। मजदूर वर्ग में राजनीतिक जागरूकता लाने पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने मजदूर वर्ग को राजनीति में सक्रिय होने के लिए प्रोत्साहित किया। मजदूरों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और उन्हें राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश भी की। उनके विचारों और कार्यों ने मजदूर वर्ग के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सभा का संचालन गौरव दीक्षित ने किया एवं अध्यक्षता असित कुमार सिंह ने की! सभा मे रामप्रसाद कनौजिया, ओमप्रकाश आनंद, नीरज यादव, डॉक्टर ओमेंद्र,आर.पी. श्रीवास्तव, अंजली शर्मा, शुभम् शुक्ला,विक्रम गोस्वामी, मीनाक्षी सिंह, मो इकराम, रवि प्रकाश, रितेश कुमार आदि ने विचार व्यक्त किए।