ईद-उल-अजहा की नमाज अदा कर मांगी अमन-चैन की दुआ,पुरूषों संग महिलाओं ने पढ़ी नमाज
U-नमाज के बाद जानवरों की दी कुर्बानी, धर्मगुरुओं की खुले में कुर्बानी न करने की अपील
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कानपुर। ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व शनिवार को शांति और खुशी के साथ मनाया गया। इस दौरान शहर की सभी ईदगाहों में केवल एक बार ही नमाज अदा की गई। वहीं दूसरी ओर मस्जिदों में दो शिफ्ट पर नमाज अदा की गई। नमाज के बाद देश में खुशहाली, अमन, सौहार्द व भाईचारे की दुआ की गई। इसके बाद जानवकों की कुबोंनी दी गई। बकरीद के पर्व पर मस्जिदों व ईदगाहों के बाहर पुलिस, प्रशासन के साथ पीएसी के जवान भी तैनात रहे। ड्रोन से भी निगरानी की गई। वहीं सड़कों पर नमाज नहीं पड़ी गई। शनिवार को सुबह 7.30 बजे तय वक्त से 15 मिनट देरी से बड़ी ईदगाह में नमाज अदा की गई। बता दें कि सुबह से ही ईदगाहों व मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए नमाजी पहुंचने लगे थे। वहीं बेनाइशबर स्थित बरकाती ईदगाह में सुबह 7.30 बजे छह बजे से ही लोग आना शुरू हो गये थे। हालांकि तय वक्त पर भी लोगों की संख्या को देखते हुये इमाम-ए-ईदगाह ने 15 मीनट और समय दिया। जिसके बाद करीब 7.45 बजे नमाज अदा की गई। नमाज के बाद मुस्लिम भाईयों ने एक दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद दी।
मास्टर अब्दुल करीम फेथफुलगंज ईदगाह में सुबह 6.30 बजे मौलाना अब्दुस्समी नदवी ने नमाज अदा कराई। यहां महिलाओं के लिए विशेष पर्दे का इंतजाम किया गया। जिसके बाद एक की इमाम के पीछे पुरुषों और महिलाओं ने नमाज अदा की। इसी तहर ईदगाह सुजातगंज में सुबह 6 बजे मौलाना सलफी ने नमाज अदा कराई। मस्जिद छोटी ईदगाह नई सड़क पर सुबह 5.35 बजे व 6.20 बजे, जामा मस्जिद शफियाबाद चमनगंज में नई सड़क पर सुबह 5.45 बजे व सात बजे, मस्जिद रंगपान नई सड़क पर सुबह सात सात बजे नमाज अदा गई। वहीं शिया मस्जिदों में जामा मस्जिद मकबरा ग्वालटोली व मस्ति मस्जिद कुरसवा पटकापुर में सुबह आठ व 11 बजे, मस्जिद अहले बैत बेकनगंज, मकतबा इमामिया अजीतगंज में सुबह आठ बजे, मस्जिद मौर जाफर पटकापुरए मस्जिद फूल वाली गली, मस्जिद सूटरगंज में सुबह नौ बजे, इमाम बारगाह हादी बेगम कर्नलगंज में सुबह नी व 9.30 बजे, मस्जिद विक्टोरिया मिल में सुबह 9.15 बजे, मस्जिद कर्बला आजम अली खां कर्नलगंज, मस्जिद नवाब दूल्हा पटकापुर में सुबह 10 बजे, बड़ी कर्बला नवाबगंज में सुबह 11 बजे नमाज हुई। वहीं शहर काजियों और धर्मगरुओं की लगातार अपील मस्जिदों और ईदगाहों से रही कि खुले में हरगिज कुर्बानी न की जाये।
नमाज अदा करने के बाद अकीदतमंदों ने कुमांनी के फरायज अदा किये। कुर्बानी के बाद रिश्तेदारों व गरीबों को गोश्त बांटा गया। बता दें कि इस्लाम में यह पर्व पैगम्बर इब्राहिम साहब की आपनाह के प्रति निष्ठा और आजा पालन की याद में मनाया जाता है। जिसमें उन्होंने पुत्र इस्माइल की कुरबानी देने इरादा किया था। जिसके बाद अल्लाह की तरफ से उनपर रहमत की गई और इस सख्त इम्तिहान में उनको कामयाबी दी गई। जिसके बाद कुर्बानी के लिए एक जानवर को भेजा गया।