मशरुम खेती से रोजगार के दिए टिप्स
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर I सीएसए के पादप रोग विज्ञान विभाग के मशरूम शोध एवं विकास केंद्र में चल रहे छह दिवसीय (07 से 12 जुलाई 2025 तक) मशरूम प्रशिक्षण का समापन शनिवार को हुआ। इस प्रशिक्षण के समापन अवसर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ नौशाद खान ने सभी प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मशरूम के पोषणीय महत्व के अलावा मशरूम का उत्पादन एक बहुत ही लाभकारी उद्यम है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए न्यूनतम भूमि आकार की आवश्यकता होती है। मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है, जो बागवानी फसल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। डॉ खान ने कहा कि मशरूम की खेती विविधता को स्थिरता प्रदान करने और आय बढ़ाने की दृष्टि से लाभकारी है। मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोग रोधक सुपाच्य खाद्य पदार्थ है। मशरूम में उपस्थित पोषक तत्व मानव शरीर के निर्माण, पुनः निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक है।नोडल अधिकारी डॉ. एसके विश्वास ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मशरूम की खेती कर उद्यम अपना कर युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं। मशरूम की खेती कर महिलाएं, बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए बेरोजगारी दूर करने के लिए उत्तम साधन है।. एसके विश्वास ने छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पर हुए विभिन्न व्याख्यानों एवं प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के बारे में लोगों को विस्तार से जानकारी दी। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान ने बताया कि इस प्रशिक्षण में छात्र, उद्यमी एवं किसानों सहित लगभग 70 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। अंत में सभी प्रतिभागियों द्वारा परिसर में पौधरोपण भी किए गए। समापन अवसर पर कुलपति की तकनीकी सचिव श्री ओम प्रकाश उपस्थित रहे।
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