हिन्दी साहित्य के वैश्वीकरण विषय पर हुई संगोष्ठी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। पर्यावरण विकास संस्थान के तत्वाधान में 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के अवसर 135 एम0आई0जी0 फेज-2 तात्या टोपे नगर में हिन्दी भाषा व हिन्दी साहित्य का वैश्वीकरण विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसे सम्बोधित करते हुये साहित्यसेवी राकेन्द्र मोहन तिवारी ने कहा कि कानपुर हिन्दी साहित्य व भाषा के लिये काम करने वाले मनीषियों का बड़ा केन्द्र रहा है। कानपुर से कई बार अंग्रेजी हटाओं आन्दोलन की शुरूआत हुयी जिसका पूरे राष्ट्र में सन्देश गया। हिन्दी साहित्य के लिये समर्पित एवं कई शोध प्रकाशित करवाने वाले प्रो. सुधान्शु त्रिपाठी ने कहा कि आज पूरे विश्व में लोग हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करते है। संगोष्ठी में मौजूद वरिष्ठ खेलकूद प्रशिक्षक एवं साहित्यकार राकेश गुप्ता ने कहा कि हमे जब कभी भी आपस में संवाद करे तो उसमें अधिकांश शब्द हिन्दी के ही हो। सौरभ शुक्ला ने हिन्दी की उपेक्षा पर अपने व्यंगात्मक कविता प्रस्तुत करके हिन्दी के प्रति सब को समर्पित होकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया सभा की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार उपेन्द्र शुक्ला ने कहा कि हिन्दी दिवस की सार्थकता तभी है जब इस के लिये पूरे वर्ष भर कार्य होते रहे। गोष्ठी का संचालन करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार भारतेन्दु पुरी ने कहा कि आज हिन्दी को समाज एवं सरकार दोनों से खतरा है। पूरी दुनिया की हिन्दी तीसरी भाषा है उसको संवर्धन करने के लिये निरन्तर प्रयास होना चाहिए। आज जब गूगल ने हिन्दी को अपना लिया है यह सब हमारे लिये शुभ संकेत है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्व सुमनलता त्रिवेदी, अशोक दुबे, अन्जू शुक्ला, सौरभ शुक्ला आदि रहे। आये हुये अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुये समाज सेवी उमेश शुक्ला ने कहा कि इस तरह की संगोष्ठियों का समाज में व्यापक सन्देश जाता है इसके शुद्धीकरण, सरलीकरण और सामाजिक स्तर कार्य करते रहना चाहिए।
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