बागवानी द्वारा फसल विविधीकरण व आय वृद्धि विषय पर हुआ प्रशिक्षण
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | सीएसए के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा, लखनऊ अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत बागवानी फसलों द्वारा फसल विवधिकरण व आय वृद्धि विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजक व बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार शुक्ला ने कृषकों को बागवानी पौधों के रोपण की विधि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि फलों, सब्जियों और अन्य फसलों को उगने हेतु विशिष्ट वातावरण की आवश्यकता होती है। कुछ फलदार पेड़ गर्म जलवायु में पनपते हैं, जबकि कुछ ठंडे तापमान को सहन कर सकते हैं। अपनी जलवायु के लिए उपयुक्त फलदार पेड़ चुनना ज़रूरी है ताकि आप ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठा सकें। यदि आप किसी गर्म क्षेत्र में रहते हैं, जहां सर्दियों में तापमान 20 डिग्री फारेनहाइट से नीचे नहीं जाता, तो आप खट्टे फल (संतरे, नींबू, आदि), अंजीर, अमरूद, शहतूत, अनार आदि उगा सकते हैं। फलदार पौधे लगाने से नियमित आय का स्रोत बनते हैं, संपत्ति के मूल्य को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, ये दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा प्रदान करते हैं,आम, अमरूद, नींबू जैसे फलदार पौधे कुछ ही वर्षों में फल देना शुरू कर देते हैं, जिससे किसानों को आय प्राप्त होने लगती है। डॉ अजय कुमार सिंह प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र ने बताया घर पर ही ताजे फल उपलब्ध होने से फलों को खरीदने पर होने वाले साप्ताहिक खर्च में कमी आती है, हवा को शुद्ध करते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है। वे पक्षियों, मधुमक्खियों और अन्य परागणकों के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करके जैव विविधता का समर्थन करते हैं और ये मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करते हैं। अतः ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं। कार्यक्रम में डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ राजेश राय, डॉ शशिकांत के अलावा डॉ निमिषा अवस्थी ने भी जानकारी दी। कार्यक्रम में कीरतपुर व मरमहतनगर के लगभग 150 अनुसूचित जाति के कृषकों ने प्रतिभाग किया। उक्त प्रशिक्षण में आवला, अमरूद, नींबू, जमुन, बेल इत्यादि के 1000 पौधे वितरित किये गए।
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