फसल अवशेष प्रबंधन पर किसानों को दी तकनीकी जानकारी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | सीएसए द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, दलीप नगर ने ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के तहत ग्राम अंगदपुर, विकास खंड रसूलाबाद में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. नवीन कुमार सिंह के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ कार्यक्रम में केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन की तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने फसल जलाने से होने वाले नुकसान, जैसे मृदा, पानी और हवा के प्रदूषण पर विस्तार से बताया। डॉ. खान ने बताया कि मल्चर, स्ट्रा चापर, स्ट्रा रीपर, रोटावेटर, सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर और हैप्पी सीडर जैसी कृषि मशीनों का उपयोग करके पराली का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह ने फसल अवशेषों को आच्छादन (मल्च) के रूप में उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी बताया कि लाभदायक सूक्ष्मजीवों का प्रयोग करके फसल अवशेषों को सड़ा-गलाकर गुणवत्तापूर्ण जैविक खाद तैयार की जा सकती है। इसके लिए पूसा वेस्ट डीकंपोजर का घोल बनाकर पराली पर छिड़काव करने से 30 से 35 दिनों के भीतर यह मिट्टी में मिल जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इस अवसर पर 50 से अधिक किसान उपस्थित रहे और उन्होंने कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी की।
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