बम-बम भोले के साथ भक्तो ने किया बाबा के दर्शन।
U-घाटों पर डुबकी लगाने वालों भक्तो का लगा तांता।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। श्रावण मास के पहले सोमवार को जहाँ भगवान शिव की भक्ति को समर्पित लोंगों ने सरसैया घाट में गंगा में डुबकी लगाई और फिर मांं गंगा की पूजा की पहले दिन ही घाटों पर भक्तों का तांता लग गया, सुबह से ही घाटों पर लोंग इकठ्टा होने लगे थे।तो परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर में आधी रात से दर्शन करने के लिए भक्तों की लाइन लग गयी बम बम भोले नारे के साथ मंदिर में बाबा के भक्तों ने दर्शन प्राप्त किये। पुराणों में वर्णित व ज्योतिषीय गणनानुसार पूरे श्रवण मास पृथ्वी पर भगवान शिव का वास होता हैं जिसमे उनके शिवलिंग पर गंगा जल ,दूध व विल्वपत्र चढ़ाने से उनकी प्रसन्नता व भक्ति की प्राप्त होती है। बताते घले कि दुनियां भर में सबसे ज्यादा भगवान शिव के लाखों पूज्य मन्दिर है। भारत वर्ष में अति विशेष पूजित द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अलावा देशभर में कई स्वयम्भू शिवलिगों में वर्णित कई शिव मंदिर है।वही अलग अलग स्थानों में प्रत्येक मन्दिर की पृथक मान्यता है । उत्तर भारत की औधोगिक नगरी कहे जाने वाले नगर के भगीरथी तट पर स्थित परमट क्षेत्र में स्थित लगभग 3 सदी प्राचीन बाबा आनदेश्वर शिवधाम के प्रति भक्तों की अपार व श्रद्धा है। जो सावन माह में आस्था के जनसैलाब के रूप में प्रतिवर्ष देखने को मिलती है। पँचदंश जूना अखाड़ा अंतर्गत बाबा आनंदेश्वर धाम परमट महामंडलेश्वर श्यामगिरी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि कालांतर में लगभग 300 वर्ष पूर्व सीसामऊ के ज़मीदार गोकुल प्रसाद मिश्रा का यह क्षेत्र हुआ करता था । जिनकी बहुसंख्यक गायेँ इसी नितांत निर्जन स्थान पर विचरण करती थी ,जिनमे से एक श्याम वर्ण आनंदी नामक दुर्लभ प्रजाति की गाय थी जो अपना सारा दूध इस निर्जन स्थान पर नित्य प्रायः गिरा दिया करति थी, कर्मचारियों द्वारा निगरानी दौरान जब ज़मीदार को इसकी जानकारी होने व उन्हें आये दिव्य स्वप्न में इस स्थान पर शिव मंदिर बनवाने के आदेश के, उपरांत उंक्त स्थान की खुदाई करवाने पर कालांतर में यहाँ भूरे रंग का एक पिंडी रूप शिवलिंग प्राप्त हुआ ,जिसे उन्ही ज़मीदार की प्रेरणा से उसी स्थान पर मन्दिर बनवाकर स्थापित करवाया गया । विद्वानजनों व जनश्रुति में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग का प्राकट्य श्रवण मास का प्रथम सोमवार को ही हुआ था , तभी से आनंदी गाय द्वारा पूजित इस परम् पूज्य धाम का नाम बाबा आनदेश्वर रूप में बिख्यात हुआ । और सावन के प्रथम सोमवार को यहाँ दूध चढ़ाने की प्रथा कालांतर से अब तक चली रही है। - - - दरबार की मान्यता….
पतित पावनी भगीरथी के पावन तट परमट स्थित बाबा आनंदेश्वर मन्दिर धाम की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से सावन मास के प्रथम सोमवार को गंगाजल ,दूध व बिल्वपत्र बाबा को अर्पण करता है ,बाबा उसकी हर विपदा को हरते हुए भक्त को सर्वकामना पुर्ण कर आनंद से निहाल कर देते है।
यहां की मान्यता के बारे में बताते हुए मंहन्त इक्षागिरीजी महाराज बाबा आनंदेश्वर धाम परमट ने बताया कि बाबा के पास जाने के पूर्व मां गंगा जी के पास अपनी प्रार्थना करने के उपरांत वहाँ से गंगाजल लाकर बाबा को अर्पण करने वाले भक्त की अकाल मृत्यु को भी बाबा टाल देते है, ओर श्याम वर्ण गाय के दूध से बाबा का अभिषेक करने से भक्त की हर कामना शीघ्र पूरी कर देते है। बिल्व पत्र की पीठ पर मां गौरी का वास माना गया है इसलिए उल्टा बिल्वपत्र चढ़ाने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते है और भक्त की प्रत्येक अभिलाषा को क्षणभर में पूरी कर देते है ।