राईट टू हेल्थ बिल को वापस लिये जाने की मांग |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | आई एम ए कानपुर शाखा द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसे अध्यक्ष डॉ पंकज गुलाटी के अतिरिक्त सचिव डॉ अमित सिंह गौर एक्शन कमिटी चेयरमैन डॉ एस के मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष डॉ एके श्रीवास्तव, डॉ बृजेंद्र शुक्ला, डॉ अर्चना भदौरिया, डॉ प्रवीण कटियार व उपाध्यक्ष डॉ शशिकांत मिश्रा ने भी संबोधित किया अध्यक्ष डॉ पंकज गुलाटी ने बताया कि समस्त सदस्य अपने अपने प्रतिष्ठानों में विरोध स्वरूप काला रिबन बांधकर कार्य कर रहे हैं। आई एम ए कानपुर शाखा के पदाधिकारियों द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन भी प्रस्तुत किया गया जिसे राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री को संबोधित किया गया है और अपना आक्रोश व्यक्त किया गया है। शाखा के सेमिनार हॉल में एक जनरल बॉडी मीटिंग भी आहूत की गई जिसमें सदस्यों ने एकमत होकर राजस्थान में गठित राइट टू हेल्थ विधायक पर राज्य सरकार की भर्त्सना की व प्रस्ताव पारित कर, विधेयक को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की गई।उन्होंने बताया की राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद भी राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को 21 मार्च 2023 को पास किया है। आईएमए कानपुर शाखा के सभी सदस्य राजस्थान सरकार द्वारा चिकित्सकों के विरोध के बाबजूद जनविरोधी ‘‘राईट टू हेल्थ बिल’’ को पारित किये जाने से दुःखी एवं आक्रोषित है। पिछले कई दिनों से राजस्थान प्रदेश के डॉक्टर हड़ताल पर है। सरकार निजी अस्पताल के डॉक्टरों पर वाटर कैनन से पानी छिड़कर और डंडे चलाकर शांतिपूर्ण आंदोलन को दमनात्मक रूप से भंग करने का प्रयास किया जा रहा है।डॉ एस के मिश्रा ने बताया कि यह बिल आमजनों को संविधान के धारा-21 के अंतर्गत सरकार द्वारा डॉक्टर्स को राईट टू लीव अधिकार से बंचित करने का प्रयास है। सरकारें स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने दायित्व को, प्राईवेट सेक्टर पर बिना किसी खर्च कर उन्हें बर्बाद करने पर उतारू है। किसी न किसी रूप में केन्द्र एवं सभी राज्य सरकारें एक जैसा कदम उठा रही है। राजस्थान सरकार जबतक इस जनविरोधी वाले काला कानून(राईट टू हेल्थ बिल) को वापस नहीं लेती है तब तक आईएमए इसका हर स्तर विरोध करना जारी रखेगी।
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