फैटी लिवर बन रहा ज्वांइडिस और हेपेटाइटिस का बडा कारण
U- 18 से 65 वर्ष के लोगो में फैटी लिवर की समस्या
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। मोटापा शरीर और डायबटीज फैटी लिवर बना रही है जिससे मरीजो की पेट की समस्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। यही नही बच्चो से लेकर बुर्जुग तक लिवर की बीमारी से ग्रस्ति होकर अस्पताल आ रहे है। अधिकांश मरीज फैटी लिवर ,ज्वांइडिस और हेपेटाइटिस से पीडित है जिनको सही समय पर जानकारी न होने पर उनका लिवर डैमेज तक हो जा रहा है। लिवर में होने वाली समस्या और उसके हाने वाले कारण के बारे में गैट्रो मेडिसन डीएम डॉ रंजीत निगम ने विस्तापूर्वक जानकारी साझा की।
डॉ रंजीत निगम ने बताया कि जब बच्चे का जन्म होता है तो उसकी नार को काट कर अगल कर दिया जाता है जिससे इंफेक्शन उसके पेट तक पहुंच कर लिवर को नुकसान पहुंचाने लगता है। बच्चे की दो नली होती है एक जो नली लिवर तक खून को लेकर जाती है और दूसरी ब्लाकेज होती है। इसमें सर्जरी द्वारा नली को ठीक किया जाता है। उन्होंने बताया कि बच्चे की नली को ठीक करने के बाद 18 साल की उम्र के बाद भी पहले जैसा प्रभाव देखने को मिला है। इसमें खून की उल्टी होना मुख्यतः पाया जाता है। इस बीमारी को परखने के लिए इंडोस्कोपी करना बहुत जरूरी होता है। इंडोस्कोपी से लिवर के बारे में पता चलता है कि कही तिल्ली तो नही बढ़ गई। कई मरीजो में तो खून की उल्टी होने से पहले ही उन्हें ज्वाइंडिस हो जाता है। उन्होंने बताया कि अब 140 मरीजो के लिवर की बायोप्सी करायी गई जिसमें 64 फीसदी पुरूष और 34 फीसदी महिलएं है जिनमें ईएचपीओ बीमारी पायी गई है। उन्होंने बताया कि अगर समय-समय पर इंडोस्कोपी कराते रहे तो लिवर में होने वाली बीमारी का सटीक पता चल जाता है। हालंकि अल्ट्रासाउण्ड से फैटी लिवर का पता तो चल जाता है ,लेकिन वह किस स्टेज तक लिवर को नुकसान पहंचा रहा है इसके लिए हमे मरीज की इंडोस्कोपी करनी पडती है ताकि लिवर कितना फैटी हुआ है इसकी जानकारी मिल सके और समय रहते उसका इलाज सही तरीके से शुरू किया जा सके।
- फैटी लिवर होने के कारण
डॉ रंजीत निगम ने बताया कि फैअी लिवर होने के वैसे तो बहुत से कारण होते है ,लेकिल प्रमुख रूप से शराब और असंतुलित खान पान को असली कारण माना गया है। कोलेस्ट्राल बढ़ने से लिवर के पास चर्बी एकत्र हो जाती है जिससे पेट का फूलना, पेट में दर्द का होना और अन्य कई तरह से पेट की बीमारियां होेने लगती है। फैटी लिवर का होना काफी कुछ लोगो की लाइफ स्टाइल पर भी निर्भर करता है कि वह किस प्रकार की जीवनशैली जी रहे है। कुछ मामलों में, दवाएँ लिवर को नुकसान से बचाने और सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं.
- लिवर का ऐसे करे बचाव
अधिकांश गंभीर मामलो में लिवर प्रत्यारोपण करना बहुत ही आवश्यक होता है। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार का सेवन करें। नियमित प्रति दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें। शराब का सेवन सीमित करें और यदि आप शराब का सेवन करते हैं, तो इसे सीमित रखें। यदि आप अधिक वजन वाले हैं, तो वजन कम करें। ऐसी दशा में लिवर का बचाव किया जा सकता है।
- फैटी लिवर का ग्रेड
फैटी लिवर का ग्रेड लिवर की स्वस्थ्यता को दर्शाता है। जैसे कि ग्रेड -1 फैटी लिवर इसे हल्का फैटी लिवर या हल्का हेपेटिक स्टेटोसिस भी कहा जाता है, जहां वसा का जमाव 5 से -33 फीसदी तक होता है। ग्रेड 2 फैटी लिवर- यह एक मध्यम फैटी लिवर की स्थिति है, जिसमें 34 से 66 फीसदी तक वसा का संचय होता है तथा ग्रेड 3 फैटी लिवर- यह एक गंभीर फैटी लिवर है, जिसमें लिवर में 66 फीसदी से अधिक वसा जमा हो जाती है।