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आरबीएसके की मदद से हिमांश को मिला नया जीवन
Updated: 6/6/2024 4:41:00 PM By Reporter- rajesh kashyap kanpur

आरबीएसके की मदद से हिमांश को मिला नया जीवन
*कल्याणपुर सीएचसी के आरबीएसके टीम की मदद से जन्मजात विकृति से मिली मुक्ति
*जन्मजात गंभीर बीमारी होती है न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर कल्याणपुर ब्लॉक के गाँव तुन्ना निवासी धर्मेंद्र सिंह के पांच माह के बच्चे हिमांश को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की मदद से लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया जिला चिकित्सालय में नया जीवन मिला है । योजना के तहत जिले में हिमांश के न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की सफल सर्जरी हुई है । चरगांवा कल्याणपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की टीम की मदद से बच्ची को इस जन्मजात विकृति से मुक्ति मिली ।
पेशे से मजदूर धर्मेंद्र बताते हैं  कि दिसंबर 2023 में हिमांश का जन्म शहर में स्थित अस्पताल में हुआ, जन्म की सबको खुशी तो थी लेकिन पीठ पर उभरे फोड़े ने सबकी खुशी छीन ली। निजी अस्पताल में तुरंत दिखाया गया लेकिन डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए रुपये मांगे । साथ ही यह भी बताया कि यह ऑपरेशन जोखिम भरा होता है । यह सुन कर हम लोग डर गये और इलाज नहीं कराया। बच्ची के बड़े होने के साथ साथ यह टुकड़ा बढ़ता गया। कई लोग ताना भी मारने लगे। 
धर्मेंद्र ने बताया कि मार्च 2023 में आरबीएसके टीमगांव आई थी । गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उमा ने बताया कि मेडिकल टीम आई है । बच्ची को वहां लेकर गये तो चिकित्सक ने हिमांश को देखा और कल्याणपुर सीएचसी बुलाया । तत्पश्चात डीईआईसी प्रबंधक कानपुर नगर ने समस्त दस्तावेजों का पूर्ण कराकर बच्चों को उपचार हेतु डॉ राम मनोहर लोहिया में भेजा I
वहां जाने के बाद आरबीएसके टीम ने इलाज की पूरी प्रक्रिया बतायी। सभी दस्तावेजों को जमा करने के बाद टीम द्वारा लखनऊ के राम मनोहर लोहिया जिला चिकित्सालय भजा गया। वहां डॉक्टर ने एमआरआई कराने को कहा । अप्रैल में एमआरआई हुई और उसके बाद 3 मई को बच्ची को कॉलेज में भर्ती किया गया । सर्जरी के एक सप्ताह बाद बच्ची का टांका काटा गया । अब पीठ सामान्य है और उसे दर्द भी नहीं होता है । पीठ पर जब मांस था तो थोड़ी सी भी चोट लगने पर दर्द होने लगता था ।
योजना के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश का कहना है कि न्यूरल ट्यूब जैसी विसंगति बच्चों के लिए बहुत खतरनाक होती है उनकी जान और उम्र भर की अपंगता का डर बना रहता है। महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी के चलते उनके गर्भ में पल रहे बच्चों को न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट डेफेक्ट जैसी विसंगति से जूझना पड़ता है। हैं।  इस तरह की विसंगति से अपने बच्चो को बचाने के लिए महिलाएं गर्भावस्था के समय आयरन फॉलिक एसिड की गोलियां जरूर लें। अभी तक इस विसंगति से पीड़ित जो भी बच्चे पहचान में आए उन सभी का सफल ऑपरेशन कराया गया।
शिक्षक, आशा और आंगनबाड़ी की लें मदद
योजना के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह ने बताया कि जिले के प्रत्येक सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र पर आरबीएसके टीम जाती हैं । टीम 48 प्रकार के बीमारियों के लिए स्क्रीनिंग करती है । नोडल अधिकारी डॉ सुबोध प्रकाश  के दिशा निर्देशन में गंभीर बीमारियों के चिन्हित बच्चों को जिले से बाहर भेज कर भी इलाज कराया जा रहा है । सुविधा का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूल के शिक्षक, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिये मदद लेनी चाहिए ।
न्यूरल ट्यूब डेफेक्ट क्या हैं?
डीईआईसी मैनेजर ने बताया की यह दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति हैं। यह तब दिखता हैं जब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में ऐसा विकार बन जाए कि यह पूर्ण रूप से बंद होने में विफल हो जाए। न्यूरल ट्यूब डेफेक्ट गर्भावस्था के पहले 5 हफ्तों में ही हो जाता हैं। तथा यह बहुत गंभीर जन्मजात रोग हैं। अगर इसके इलाज की शुरुआत बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर न हो तो बच्चे की मृत्यु भी हो सकती हैं। अगर बच्चे को इलाज़ मिला तो वह बच सकता हैं। अगर बच्चे का सही समय पर इलाज़ न हुआ और तब भी जान बच गई तो वह विभिन्न प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक विकलांगता का शिकार हो सकता हैं।
न्यूरल ट्यूब डेफेक्ट दो प्रकार का होता हैं
1-स्पाइना बाईफिडा में ट्यूब गर्भावस्था के पहले महीने में बंद नहीं होती हैं अतः आंतरिक अंग शरीर के बाहर दिखाई देते हैं। यह सूजन सिर के पीछे के भाग में अथवा रीढ़ की हड्डी में किसी भी स्थान पर हो सकती हैं। समय पर सर्जिकल इंटरवेन्शन हो जाने पर बच्चे की जान बचायी जा सकती हैं।
2-एन एन के फैली में अधिकांश दिमाग विकसित नहीं होता हैं। इसमें या तो बच्चे जन्म के बाद मर जाते हैं या तो मृत बच्चा जन्म लेता हैं।
न्यूरल ट्यूब डेफेक्ट कैसे पहचाने?
1-ढूँढे सूजन (गांठ) कहाँ हैं। ज़्यादातर वह सिर या पीठ पर होगी।
2-उभार का रंग, आकार देखना चाहिए।
3-ढूँढे कि सूजन से कोई स्राव/रक्तश्राव तो नहीं हो रहा।
4-देखे कि बच्चे के पैर ठीक से काम करते हैं या नहीं।
5-यह भी देखे कि उसको पखाना हो रहा हैं या नहीं।

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