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  3. मंत्री ने एसडीएम को सौंपी जांच, जल्द कार्रवाई के दिए निर्देश
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  5. तिर्वा तहसील के सानापुर करतौली गांव के पीड़ित की गुहार
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  7. पीड़ित पट्टा धारकों का दबंग पर कब्जा करने का आरोप
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  9. कन्नौज में पट्टे की जमीन पर कब्जे का आरोप
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  11. कन्नौज में बंदर को लगा करंट, पुलिसवालों ने बचाई जान करंट लगने से बंदर कमजोर हो गया, जिसके बाद पुलिसवाले ही उसकी देखभाल कर रहे हैं
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  13. पीड़ित लाइनमैन ने पुलिस को दी तहरीर,वीडियो के आधार पर पुलिस मामले की जांच में जुटी इंदरगढ़ थाना क्षेत्र के लालशाहपुर्वा गांव का वीडियो.
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  15. कर्मियों के साथ मारपीट का वीडियो हो रहा वायरल
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  17. बकाया बिजली बिल जमा करने की बात कहने पर मारपीट
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  19. बिजली विभाग कर्मचारियों के साथ दबंगों ने की मारपीट
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  21. ‘जो अपराधी बचे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी’सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है ,कार्यकर्ता भी प्रशासन का पूरा सहयोग करते है‘सूबे में हो रहे उपचुनाव में सभी सीटें भाजपा जीत रही
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  23. जो हत्या हुई वह बहुत गंभीर बात थी- असीम अरुण
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  25. बहराइच में जो घटना हुई, हत्या हुई गम्भीर विषय- मंत्री
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  27. कन्नौज-बहराइच की घटना पर बोले मंत्री असीम अरुण
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  29. फोर्स के साथ पैदल गश्त पर भी निकले जोगेंद्र कुमार
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  31. विवेचनाओं के निस्तारण, माल निस्तारण के दिये निर्देश
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  33. शस्त्रागार, हवालात, सीसीटीएनएस ऑफिस का निरीक्षण
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  35. कन्नौज-डीआईजी कानपुर जोन पहुंचे तालग्राम थाने
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  37. गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र के भवानीपुर गांव का मामला।
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  39. खेत में दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट, सरिया और लाठी डंडों से की मारपीट, खूनी संघर्ष में दोनों पक्षों के कई लोग घायल,
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ब्लॉक सरसौल में स्थापित हुआ पहला मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर
Updated: 6/22/2024 7:45:00 PM By Reporter- rajesh kashyap kanpur

ब्लॉक सरसौल में स्थापित हुआ पहला मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर |
U-एनीमिया के ससमय प्रबंधन, उपचार व रोकथाम की मिलेंगी सेवायें |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाली रक्त स्त्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता न सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है बल्कि सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। 
यह बातें शनिवार को परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल व एसीएमओ डॉ रमित रस्तोगी ने कहीं। उन्होंने ब्लॉक सरसौल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जिले के पहले मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर का शुभारंभ भी किया 
डा. रस्तोगी ने बताया कि ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस एवं प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान पर प्रसव पूर्व जांच के माध्यम से एनेमिक गर्भवती महिलाओं की जांच की जा रही है।साथ ही सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर खान-पान के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। महिलाओं के बीच एनीमिया के विषय में संपूर्ण जानकारी से प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। जटिल प्रसव के कुशल प्रबंधन के लिए खून चढ़ाने की भी जरूरत हो सकती है इसी उद्देश्य से ग्रामीण स्तर पर पहला मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरसौल में स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया की एनीमिया की पहचान हिमोग्लोबीन लेबल जांच करने के बाद की जाती है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला हिमोग्लोबीन लेबल 11 ग्राम से ज्यादा है तो इसी सामान्य मानकर दवाइयां दी जाती हैं। हिमोग्लोबीन 7 ग्राम से 11 ग्राम होता है उसे मॉडरेट कहते हैं। यदि हिमोग्लोबीन 7 ग्राम से नीचे है तो उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है। हिमोग्लोबीन 7 ग्राम से 10 ग्राम के बीच रहता है तो दूसरी या तीसरी तिमाही में उस महिला को मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर में आयरन सूक्रोज का इंजेक्शन दिया जायेगा जिससे प्रसव के समय खून से सम्बंधित कोई जटिलतायें ना हों । इसके साथ ही उन्होंने बताया की जनपद के अन्य सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर स्थापित करने की तैयारियां चल रहीं हैं। जल्द ही वहां पर भी गर्भवती महिलाओं को सेवायें मिलने लगेंगी। यूपीटीएसयू की डिस्ट्रिक्ट स्पेशलिस्ट कम्युनिटी आउटरीच कुसुम सिंकू का कहना है हीमोग्लोबीन की कमी एनीमिया की मुख्य वजह है। गर्भावस्था के दौरान 80 फीसदी महिलाओं को एनीमिया से ग्रसित होने का खतरा रहता है। एनीमिया की वजह से प्रसव संबंधी जटिलता बढ़ने के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होने का खतरा रहता है। यही नहीं एनीमिया मातृ-शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। वहीं सामान्य महिलाओं के एनीमिक होने से माहवारी के दौरान रक्तस्श्राव व तकलीफ बढ़ जाती है। बालों को झड़ना, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर व शारीरिक दुर्बलता का बढ़ना बेहद आम है। 
पोषक तत्वों की भूमिका
कुसुम ने बताया कि फोलिक एसिड गर्भस्थ शिशु में मस्तिष्क और रीढ़ के विकास में सहायक होता है। इसके सेवन से बच्चों को जन्मजात दोषों से बचाया जा सकता है। आयरन के सेवन से रक्त संचार में वृद्धि होती है, जिससे गर्भवती और गर्भस्थ शिशु तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है। कैल्शियम गर्भ में पल रहे शिशु की हड्डियों के निर्माण और गर्भवती के रक्तचाप को नियंत्रित रखने तथा हड्डियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सही मात्रा में कैल्शियम का सेवन करने से मांसपेशियाँ और तंत्रिका तंत्र मजबूत होते हैं। इसके आलावा गर्भवती की थाली में चार रंग के खाद्य पदार्थों को शामिल कर कार्बोहाइड्रेट, वसा, आयोडीन, ओमेगा 3, प्रोटीन और विटामिन्स जैसे अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। 
आयरन फोलिक एसिड की 180 और कैल्शियम की 360 गोलियों का सेवन जरुरी 
चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रणब कर का कहना है कि प्रसव को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए गर्भवती अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता और एएनएम के बराबर संपर्क में रहें। उनके द्वारा दी जाने वालीं आयरन फोलिक एसिड की 180 और कैल्शियम की 360 गोलियों का सेवन अवश्य करें। यदि गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव होना, खून की कमी यानि कमजोरी या थकान महसूस हो, बुखार आना, पेडू में दर्द या योनि से बदबूदार पानी आना, उच्च रक्तचाप यानि अत्यधिक सिरदर्द, झटके आना या दौरे पडऩा और गर्भ में पल रहे शिशु का कम घूमना जैसे खतरे के लक्षण नजर आएं तो 102 एंबुलेंस की मदद से स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला महिला अस्पताल जाकर जांच अवश्य कराएं।

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