9 वर्ष की बच्ची की आंखो की रोशनी लौटाई, जटिल मोतियाबिंद का किया सफल् ऑपरेशन
U- एक माह में चार बच्चों पर विशेष तकनीक का उपयोग रहा सफल
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नेत्र चिकित्सा विभाग ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में एक 9 वर्ष की बच्ची का मोतियाबिंद ऑपरेशन अत्याधुनिक फेको विधि द्वारा सफलतापूर्वक किया गया। यह ऑपरेशन विशेष तकनीकी विधि के माध्यम से किया गया, जिससे भविष्य में होने वाली जटिलताओं से बच्चे को सुरक्षित रखा जा सके।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज की वरि. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि विगत एक महीने के दौरान बच्चों में मोतियाबिंद के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इसके प्रमुख कारणों में जन्मजात मोतियाबिंद, आंख में चोट लगना, लंबे समय तक स्टेरॉयड का उपयोग तथा पटाखों से लगी चोट शामिल हैं। चोट के मामलों में आंख का प्राकृतिक लेंस अपनी सामान्य स्थिति से हिल जाता है, जिससे सामान्य लेंस प्रत्यारोपण में कठिनाई उत्पन्न होती है। उन्होंने बताया कि ऐसे जटिल मामलों में नेत्र रोग विभाग द्वारा विशेष शल्य तकनीक का प्रयोग किया गया। इस तकनीक में पहले कैप्सूलर हुक लगाकर लेंस के कैप्सूलर बैग को स्थिर किया गया, उसके पश्चात सीटीआर (कैप्सूलर टेंशन रिंग) डाली गई, जिससे बैग को आवश्यक मजबूती एवं संतुलन प्राप्त हुआ। इसके बाद आंख में कृत्रिम लेंस सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। इस तकनीक के प्रयोग से ऑपरेशन पूर्णतः सुरक्षित एवं सफल रहा तथा भविष्य में बच्चों को किसी अतिरिक्त समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। पिछले एक महीने में इस विशेष तकनीक का उपयोग चार बच्चों में किया गया, जिन सभी के ऑपरेशन सफल रहे और मरीजों को दृष्टि लाभ प्राप्त हुआ। इस अवसर पर कालेज के प्रधानाचार्य प्रो. संजय काला ने इस उन्नत तकनीक के सफलतम उपयोग पर नेत्र रोग विभाग की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने जनमानस से अपील की कि हैलट अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में सभी उच्च स्तरीय एवं अत्याधुनिक नेत्र चिकित्सा सुविधाएँ निःशुल्क उपलब्ध हैं। आम नागरिक इन सुविधाओं का लाभ उठाकर समय पर अपनी आंखों की जांच व उपचार कराएं, जिससे वे अपनी दृष्टि को सुरक्षित रख सकें और इस खूबसूरत दुनिया को स्पष्ट रूप से देख सकें। इस सफल ऑप्रेशन में डॉ. नम्रता पटेल, डॉ. शुभि सचान, डॉ. राकेश, डॉ. शिवांगी एवं डॉ. मधु यादव शामिल रहीं, जिन्होंने मिलकर इन जटिल शल्य क्रियाओं को सफलतापूर्वक संपन्न किया।