मिजिल्स रूबेला की रोकथाम के लिये कैचअप अभियान शुरू
U-सीएमओ ने मां कांशीराम जिला चिकित्सालय से किया अभियान का आगाज़
U-खसरे के लिहाज से जिले के सात ब्लॉक व शहरी क्षेत्र संवेदनशील
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | जिले के सात ब्लॉक भीतरगांव, बिधनू, चौबेपुर, घाटमपुर, पतारा, सरसौल, चौबेपुर एवं शहरी क्षेत्र में सोमवार से मिजिल्स रुबेला कैचअप अभियान का आगाज़ हो चुका है । इस अभियान में एमआर के टीके से छूटे हुए सभी बच्चों को टीकाकरण किया जायेगा। मां कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय एवं ट्रॉमा सेंटर से मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने फीता काटकर इस अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान के तहत 6 दिसम्बर तक टीकाकरण सत्र बुधवार और शनिवार के नियमित टीकाकरण दिवसों को छोड़कर अन्य कार्य दिवसों में आयोजित किए जाएंगे सीएमओ डॉ आलोक रंजन ने जनपद के शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा कार्यकर्ताओं , स्वयं सहायता समूह की सखियों व ग्राम प्रधान से इस टीकाकरण अभियान को सफल बनाने की अपील की। सीएमओ ने बताया कि खसरा रूबेला छोटे बच्चों की अत्यन्त गम्भीर एवं जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी होने के पश्चात् बच्चे की मृत्यु होने की संभावना 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। यह बीमारी न हो इसके लिए यह जरूरी है कि प्रत्येक बच्चे को एमआर टीके की दो खुराक लगा दी जाय। दोनों खुराक लेने के बाद शत-प्रतिशत इस बीमारी से सुरक्षित हो जाता है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यूबी सिंह ने बताया कि जिले के सात ब्लॉक व शहरी क्षेत्र खसरा के लिहाज से संवेदनशील है। इन सभी में 10251 बच्चे टीकाकरण से वंचित रहे हैं। सर्वे के दौरान चिंहित किए गए इन बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाने के लिए सोमवार से रूबेला व खसरा टीका लगाने की कवायद शुरू हुई है। उन्होंने बताया कि नौ से 12 माह तक के बच्चों को पहला टीका और 16 से 24 माह तक के बच्चों को दूसरा टीका लगाया जाएगा। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि एमआर टीका पूरी तरह से सुरक्षित है और भारत सरकार द्वारा अनुमोदित है। इस टीके का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। 25 नवम्बर से 6 दिसंबर के बीच 503 अतिरिक्त सत्रों के माध्यम से इन बच्चों का टीकाकरण कराया जाएगा। डॉ सिंह ने बताया कि खसरा एक खतरनाक बीमारी है, जो बुखार, चकत्ते और निमोनिया जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। रूबेला वायरस खासतौर पर बालिकाओं के लिए खतरनाक है। यदि किसी लड़की को बचपन में रूबेला का संक्रमण हो जाता है, तो आगे चलकर गर्भावस्था के दौरान उसके शिशु में जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान मां कांशीराम चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पीबी सिंह व डॉ राजेश्वर सिंह, सहयोगी संस्था डब्लूएचओ, यूनिसेफ व यूएनडीपी के जिला प्रतिनिधि, बच्चों के अभिभावक सहित सीएमओ कार्यालय का स्टाफ उपस्थित रहा।