तेज रफ्तार जीवन में खान-पान की आदतें, लिवर पर डाल रही गम्भीर प्रभाव : डॉ पूजित
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | मनुष्य के शरीर का लिवर एक अत्यंत महत्वपूर्ण और परिश्रमी अंग है, जो पांच से अधिक महत्वपूर्ण कार्य करता है – जैसे पाचन, मेटाबॉलिज्म, डिटोक्सिफिकेशन, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना, और मिनरल्स को संग्रहित करना। इसके बावजूद, स्वास्थ्य की चर्चाओं में अक्सर इसका उल्लेख नहीं होता। दिल की बीमारियाँ, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और किडनी रोग जहाँ आमतौर पर चर्चा में रहते हैं, वहीं लिवर चुपचाप अपने कार्य करता रहता है। लेकिन आज के तेज़ रफ्तार जीवन में बदलती खानपान की आदतें, मोटापा और बढ़ती शराब की खपत लिवर पर गंभीर प्रभाव डाल रही हैं। आजकल की सबसे सामान्य लिवर संबंधी बीमारी है नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिज़ीज जिसमें शराब के सेवन के बिना ही लिवर में फैट जमा हो जाती है। यह अस्वस्थ भोजन, निष्क्रिय जीवनशैली और मोटापे से जुड़ा होता है। यदि समय रहते इसे न रोका जाए, तो यह नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस और आगे चलकर सिरोसिस व लिवर फेलियर में बदल सकता है। दूसरी ओर, अत्यधिक शराब के सेवन से अल्कोहॉलिक लिवर डिज़ीज होती है, जो लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है और उनमें सूजन व स्कारिंग का कारण बनती है। होम्योपैथी चिकित्सक डॉ पूजित जायसवाल ने बताया कि होम्यो पैथ इलाज के जरिए इसे बेहतर तरीके से ठीक किया जा सकता है |“लाइफस्टाइल के अतिरिक्त, हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई जैसी वायरल इंफेक्शन भी लिवर की बीमारियों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन व पानी से फैलते हैं और तीव्र लिवर संक्रमण का कारण बनते हैं। वहीं हेपेटाइटिस बी और सी लंबे समय तक लिवर को नुकसान पहुँचा सकते हैं, सिरोसिस और लिवर कैंसर तक पहुँचा सकते है |
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