ज्योतिर्विज्ञान व कर्मकाण्ड विभाग के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की हुयी विदाई, साझा किये अनुभव
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के दीन दयाल शोध केंद्र में संचालित ज्योतिर्विज्ञान व कर्मकाण्ड विभाग के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों का विदाई समारोह का गुरूवार को दीन दयाल सभागार में किया गया है।
एमए ज्योतिर्विज्ञान चतुर्थ सेमेस्टर व डिप्लोमा इन कर्मकांड के द्वितीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने अपने अपने अनुभवों के साथ बहुत सारे सुझाव भी दिये। इसके साथ ही अपनी पहली कक्षा से लेकर अंतिम कक्षा तक के विचारों को साझा किया। दीन दयाल शोध केंद्र की ओर से विदाई समारोह में आए सभी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति व दीन दयाल शोध केंद्र के निदेशक प्रो.सुधीर कुमार अवस्थी जी ने कहा कि ज्योतिष एवं कर्मकांड को आजीविका का साधन बनाते समय नैतिकता को ध्यान में रखना चाहिए। इसके साथ उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति सदैव विनम्र रहना चाहये। ज्योतिष शास्त्रों के सूत्रों का अर्थ व्यवहारिक दृष्टिकोण से करना चाहिये, जिससे कोई भी भ्रम न रहे। वीएसएसडी कॉलेज के प्रो.प्रदीप दीक्षित ने कहा कि गुरुकुल परंपरा को ध्यान रखते हुये अध्ययन व अध्यापन किया जाना चाहिये और अभिमान को इस परम्परा से दूर रखना चाहिये।
ज्योतिर्विज्ञान के आचार्य स्वयंप्रकाश अवस्थी जी ने ऋग्वेद के मंत्र की ज्योतिषीय व्याख्या करते हुये वैदिक करण में उन्नत ज्योतिष की स्थिति बतायी, साथ ही ज्योतिष की पृष्ठभूमि एवं वैदिक काल से आधुनिक काल तक की यात्रा पर प्रकाश डाला।
कर्मकांड के आचार्य डॉ श्रवण कुमार द्विवेदी जी ने समावर्तन संस्कार पर प्रकाश डालते हुये विद्यार्थियों को करणीय कार्यों के विषय में बताया। सहायक निदेशक डॉ दिवाकर अवस्थी ने छात्रों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा यह ज्योतिर्विज्ञान का पहला बैच है इसलिए यह सदैव ही हम लोगों के स्मरणीय रहेगा। और यह शोध केंद्र सदैव आप सबके लिये खुला है।
कार्यक्रम का संचालन सचिन शुक्ला व धन्यवाद सुरदीप अवस्थी ने किया। इस अवसर पर आचार्य संगम बाजपेयी, कमलेश गुप्ता, महेश चंद्र, कीर्ति शुक्ला, श्यामली चौहान, संगीता अवस्थी, आयुष विशाल आदि विद्यार्थी उपस्थित रहे।