स्वयंभू गौरी शंकर मंदिर में विराजित है पूरा शिव परिवार, सावन में में दूर-दूर से पहुंचते हैं भक्त
वरिष्ठ संवाददाता रंजीत पाल
कन्नौज :अति प्राचीन स्वम्भू बाबा गौरीशंकर मंदिर में सावन माह में एक अलग ही धूमधाम दिखाई देती है. क्योंकि अगर बाबा गौरी शंकर मंदिर की बात करें तो हजारों वर्ष पुराना यह मंदिर अपने आप में बहुत बड़ा इतिहास संजोए हुए हैं. बताया जाता है यहां पर इस समय स्वयं गंगा मां, बाबा गौरीशंकर के दर्शन के लिए अपना प्रचंड रूप लेकर आया करती थी. मंदिर में पूरा शिव परिवार विराजित है.जिले में मां गंगा और काली नदी का अद्भुत संगम होता है| जिस कारण कन्नौज में सावन माह का महत्व और भी अलग हो जाता है. क्योंकि लोग गंगा में स्नान करते है और वहीं गंगा जल से बाबा गौरीशंकर का जलाभिषेक करते हैं. बाबा गौरी शंकर की प्रतिमा में एक और अनोखी और खास बात है.बताया जाता है बाबा गौरीशंकर की प्रतिमा में उनका पूरा परिवार विराजमान है. जिसमें भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती एवं बाल गणेश विराजमान है|गौरी शंकर मंदिर में सावन मास में श्रद्धालुओं का भीड़ लगी रहती है. ऐसे में जो श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा पूर्वक बाबा गौरी शंकर की पूजा अर्चना करता है. उस पर बाबा गौरी शंकर की विशेष कृपा बनी रहती है। जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर राजा जयचंद के किले के पास करीब 1600 साल पुराना अति प्राचीन बाबा गौरी शंकर मंदिर है।इस मंदिर की खास बात यह है कि यह पूरे विश्व में इकलौता ऐसा मंदिर है। जिसमें शिवलिंग में साक्षात पूरा शिव परिवार दिखाई देता है, पूरे देश के साथ-साथ विदेश से भी श्रद्धालु इस शिव मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।सावन महीने में बाबा गौरी शंकर मंदिर में दर्शन करने पर भगवान शिव के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की कृपा भी भक्तों को प्राप्त होती है।छठवीं शताब्दी में राजा हर्षवर्धन इस मंदिर में पूजा-पाठ किया करते थे. मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू है।इस मंदिर का संबंध आदिकाल से भी जोड़ा जा सकता है।राजा हर्षवर्धन ने इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा के लिए 1000 पुजारियों की नियुक्ति भी की थी। मान्यता यह भी है कि यहां पर सावन मास में एक बार मां गंगा यहां पर मंदिर के अंदर तक बाबा गौरी शंकर का जलाभिषेक करने जरूर आती थीं। यह जानकारी मंदिर के मुख्य पुजारी अनिरुद्ध दीक्षित ने दी।