आईएमए ने वैज्ञानिक सीएमई का किया आयोजन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा और वेंकटेश्वर अस्पताल, नई दिल्ली के सहयोग से, एक वैज्ञानिक सीएमई का आयोजन, ऑडिटोरियम आईएमए भवन परेड, कानपुर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में वैज्ञानिक सीएमई मे प्रथम वक्ता, डॉ दिनेश चंद्र कटियार, निदेशक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी, वेंकटेश्वर अस्पताल, दिल्ली ने कैंसर के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सकों की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया।
वैज्ञानिक सीएमई कार्यक्रम में बताया कि कैंसर जैसे गंभीर रोग की रोकथाम, पहचान और प्रबंधन में ‘जनरल फिजीशियन’ (सामान्य चिकित्सक) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। आज भी भारत में अधिकांश लोग, किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए सबसे पहले जनरल फिजीशियन से ही संपर्क करते हैं, ऐसे में यह डॉक्टर न केवल प्रारंभिक लक्षणों की पहचान करते हैं, बल्कि सही समय पर मरीज को विशेषज्ञ के पास रेफर करके उसकी जान भी बचा सकते हैं। कैंसर अब कोई दूर की बीमारी नहीं रही, यह हमारे आस-पास, हमारे परिवार और समाज का एक गंभीर यथार्थ बन चुका है। लेकिन कैंसर की पहचान प्रारंभिक चरण में हो जाए, तो इसका इलाज अधिक प्रभावशाली, किफायती और सफल होता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईएमए की अध्यक्ष, डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने की, तथा हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गणेश शंकर, वैज्ञानिक सचिव, आईएमए ने किया। आईएमए के सचिव, डॉ. विकास मिश्रा ने दिया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र के चेयरपर्सन, प्रो. (डॉ.) एम. पी. मिश्रा, पूर्व निदेशक जेके कैंसर संस्थान एवं विभागाध्यक्ष, पैथोलॉजी विभाग नारायणा मेडिकल कॉलेज एवं डॉ. प्रदीप त्रिपाठी, प्रबंध निदेशक, रतनदीप हॉस्पिटल डॉ. ए.सी. अग्रवाल, चेयरमैन वैज्ञानिक सब कमेटी, डॉ. कुणाल सहाय, उपाध्यक्ष, आई.एम.ए. कानपुर एवं डॉ. कीर्ति वर्धन सिंह संयुक्त वैज्ञानिक सचिव, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कैंसर के प्रारंभिक संकेत जिन्हें नजरअंदाज़ न करेंरू
बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन कम होना, शरीर में किसी गाँठ या सूजन का महसूस होना, लंबे समय तक ठीक न होने वाला घाव, लगातार खांसी या आवाज में बदलाव, निगलने में कठिनाई या लगातार अपच, मल, मूत्र या थूक में खून आना, महिलाओं में असामान्य रक्तस्राव या श्वेत प्रदर है। अगर ये लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक बने रहें तो डॉक्टर से अवश्य मिलें।
क्यों होती है पहचान में देरी ......?
डाक्टरो ने बताया कि जानकारी का अभाव , भय, सामाजिक संकोच या कलंक, आर्थिक संसाधनों की कमी, झोलाछाप उपचार या देरी से जांच कराना, इन सभी बाधाओं को जागरूकता और सही जानकारी से दूर किया जा सकता है। इन लक्षणों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। जनरल फिजीशियन ऐसे लक्षणों को पहचान कर आवश्यक जांच व उपचार की दिशा में पहला कदम उठाते हैं।
जिगर प्रत्यारोपण क्या है ?
यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें खराब हो चुके जिगर को किसी स्वस्थ डोनर के जिगर से प्रतिस्थापित किया जाता है। यह डोनर मृत व्यक्ति भी हो सकता है या जीवित डोनर, जो अपना आधा जिगर देता है कृ क्योंकि जिगर एकमात्र ऐसा अंग है जो स्वयं को पुनः विकसित कर सकता है। प्रत्यारोपण की सफलता के लिए ज़रूरी बातें है कि समय पर पहचान और रेफरल, अनुशासित जीवनशैली और दवा का पालन, डॉक्टर के परामर्श से नियमित जांच, इम्यूनो-सप्रेसिव दवाओं का संयमित सेवन, स्वस्थ खानपान, व्यायाम और तनाव से बचाव है।