राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक व्याख्यान एवं पैनल चर्चा
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कानपुर शाखा द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन आईएमए कॉन्फ्रेंस हॉल, परेड,में किया गया।यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आगामी सीएमई कार्यक्रम "थोरेकोविज़न-2025": थोराकोस्कोपी कार्यशाला एवं सीएमई के संदर्भ में आयोजित की गई, जो कि नेशनल काॅलेज ऑफ चेस्ट फीजिशियन यूपी . के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार, 8 नवम्बर 2025 को आईएमए ऑडिटोरियम परेड कानपुर में आयोजित किया जाएगा। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को डॉ. अनुराग मेहरोत्रा, अध्यक्ष, आईएमए कानपुर, डॉ. एस. के. कटियार, आयोजन अध्यक्ष, डॉ. शालिनी मोहन, सचिव, आईएमए कानपुर, डॉ. संदीप कटियार, आयोजन सचिव, डॉ. विशाल सिंह, वित्त सचिव (आईएमए), डॉ. दीपक श्रीवास्तव, वैज्ञानिक सचिव (आईएमए) एवं डॉ. कुश पाठक, सह-वैज्ञानिक सचिव (आईएमए) ने संयुक्त रूप से संबोधित किया।आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ. अनुराग मेहरोत्रा, ने आए हुए पत्रकार बंधुओं का स्वागत करते हुए बताया कि एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक कार्यक्रम 'थोरेकोविज़न-2025' का आयोजन 8 नवम्बर 2025 को आईएमए भवन, कानपुर में किया जाएगा। यह कार्यक्रम नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिज़ीशियन्स (इंडिया) तथा कटियार, चेस्ट सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में तथा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कानपुर शाखा के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देशभर के प्रमुख पल्मोनोलॉजिस्ट, स्नातकोत्तर छात्र एवं मेडिकल फैकल्टी सदस्य भाग लेंगे। जिससे उन्हें थोराकोस्कोपी की महत्वपूर्ण तकनीक सीखने का अवसर मिलेगा और समाज को इसका प्रत्यक्ष लाभहोगा।कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) एस. के. कटियार, पूर्व प्राचार्य एवं डीन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर तथा चेयरमैन, साइंटिफिक कमेटी एवं एकेडमिक फोरम, एनसीसीपी (इंडिया) हैं, जबकि डॉ. संदीप कटियार, आयोजन सचिव की भूमिका निभा रहे हैं।कार्यशाला का मुख्य विषय मेडिकल थोराकोस्कोपी है यह एक उन्नत एवं न्यूनतम इनवेसिव तकनीक है जो फेफड़ों की झिल्ली (प्लूरा) से जुड़ी बीमारियों जैसे कैंसर एवं तपेदिक के निदान एवं उपचार में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है।कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ हाई-फिडेलिटी मैनक्विन्स पर है इस-ऑन ट्रेनिंग सेशन थोराकोस्कोपिक उपकरणों एवं तकनीकों का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक व्याख्यान एवं पैनल चर्चा कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए प्रो. कटियार, ने कहा कि ऐसे स्किल-बेस्ड प्रशिक्षण मंच आधुनिक श्वसन चिकित्सा में अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि थोराकोस्कोपी अब उन प्लूरल रोगों के निदान में प्रमुख उपकरण बन चुकी है. जो पारंपरिक विधियों से निदान योग्य नहीं रह पाते। उन्होंने कहा, "आज की मेडिकल शिक्षा में ज्ञान, तकनीक और व्यावहारिक प्रशिक्षण तीनों का समन्वय आवश्यक है।
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