लेप्रोस्कोपी और रोबोटिक सर्जरी मरीजो के बरदान साबित होगी
U- शराब, तम्बाकू और सिगरेट ओरल कैंसर को दे रही बढ़ावा
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। हेल्थ केयर को लेकर मेडिलक कालेज में पीजी की सीटे तो बढ़ी है ,लेकिन उन्हें सही दिशा और ट्रेनिंग न मिल पाने के कारण वह आधुनिक विधियों से दूर है। इसी दूरी को मिटाने के उद्देश्य से सर्जरी की नई विधियों को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए यूपीएसआईकॉन- 2025 वर्कशॉप का आयोजन कर रहा है ताकि सर्जनस् को आधुनिक विधियों की ट्रेनिंग देकर उन्हें परांगत किया जाये।
यूपीएसआईकॉन-2025 के तीन दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन बिठूर स्थित ब्लू वर्ल्ड में किया गया जिसका शुभारम्भ (एएसआई) के मुख्य अतिथि डॉ प्रवीण आर सूर्यवंशी व कालेज प्राचार्य डॉ संजय काला, प्रमुख अधीक्षक डॉ आर.के.सिंह व सर्जरी के विभागध्यक्ष डॉ जी.डी यादव के द्वारा किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ प्रवीण सूर्यवंशी ने बताया कि 3 वर्ष पूर्व भारत में 1700 मरीजो पर एक डाक्टर थे, अब 1000 मरीजो पर एक डाक्टर उपलब्ध है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रो में प्राथमिक मेडिकल सर्विस भी पूर्ण रूप से उपलब्ध नही है। साथ ही 30 से 40 फीसदी मरीजो को गांव से शहर आकर इलाज करवाना पडता है। उन्होंने बताया कि हमारी एसोसिएशन का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो से लेकर शहर के चिकित्सको को सर्जरी के बारे में नई विधियां और टेªनिंग देकर उन्हें सजग बनाना है। उन्होंने बताया कि विदेशो में जैसे अमेरिका, यूके में सरकार स्वास्थ्य को लेकर डाक्टरो की सलाह लेते, जबकि भारत में ऐसी कोई पॉलिसि की समिति ही नही है। आयुष्मान राशि को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार के पैकेज में जो धनराशि है उससे हेल्थ क्वालिटी देना बहुत मुश्किल है।
- सड़क हादसा रोकना है तो ट्रामा मैजेमेंट का कोर्स जरूरी
यूपीएसआईकॉन-2025 की वर्कशॉप में इलाहाबाद से आए डॉक्टर डॉ प्रवीण सूर्यवंशी ने कहा कि सबसे ज्यादा हादसे के शिकर लोग हाइवे पर होते है। अगर ऐसे में गोल्ड ऑवर जो कि एक घंटे का होता है। मरीज को अगर समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाये तो उसकी जान को बचाया जा सकता है। इसके लिए हाइवे के पेट्रोल पम्प कर्मियों , टोल बूथ और हाइवे पर काम करने वाले अन्य विभागो को ट्रामा मैजेमेंट का कोर्स होना जरूरी है ताकि वह मरीज को सही समय पर उसकी मदद कर उसकी जान बचा सके। उन्होंने बताया कि डिजीटल एएसआई एप्प भी लांच किया गया है जिसमें देश भर के 40 हजार सर्जन सदस्य जुडे हुए है। उन्होंने कहा कि मरीज का रिकार्ड न रखना स्वास्थ्य सेवाओं को पीछे धकेल रहा है। सस्ता इलाज और क्वालिटी पर ध्यान दिया जाये तो गरीबो को भी बेहतर इलाज मिल सकता है।
- कोलेस्ट्राल बढ़ने से 50 फीसदी गाल ब्लाडर स्टोन का खतरा
वर्कशॉप के दौरान एएसआई के मैजेजमेंट प्रभारी डॉ टी.डी यादव ने गॉल ब्लाडर को लेकर बताया कि जब गाल ब्लाडर में पत्थरी हो जाती है तो उसे समय रहते ही निकलवा देना चाहिए। क्यो कि गाल ब्लाडर पेक्रियाज को दिक्कत करने लगता है। अक्सर देखा गया है कि सही विधि की जानकारी न होने पर गाल ब्लाडर निकालते समय मरीज के धाव भी हो जाता ह। ऐसे में सावधानी पूर्वक गालन ब्लाडर निकालने के लेप्रोस्कोपी की अत्याध्ुानिक विधि और ट्रेनिंग जरूर होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि गाल ब्लाडर के पास जमा फैट लिवर के साइज को बढ़ा देता जिससे गाड ब्लाडर इसी में घुस जाता है और खास कर मोटापे की बजह से ज्यादा होता है। उन्होंने बताया कि पत्थरी होने के दो प्रमुख कारण है पहला एनिमिया, ब्लड डिस्टक्शन और कोलेस्ट्राल का बढ़ा होना होता है। जबकि दूसरा सिमट्रोमेटी स्टोन होता है जिससे गाल ब्लाडर में दर्द होने लगता है। 50 प्रतिशत स्टोन कोलेस्ट्राल के कारण ही बनता है। जबकि नार्थ और ईस्ट में गाल ब्लाडर कैंसर के मरीज ज्यादा देखने को मिल रहे है। इसका लक्षण अचानक भूख का कम लगना , वजन का कम होना गाल ब्लाडर में कैंसर का सकेंत हो सकता है।
- आने वाला समय रोबोटिक सर्जरी का
ग्वालियर से आए एसोसिएशन जेनेटा यूरानरी सर्जरी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ एच.एल. गुप्ता ने बताया कि आने वाले समय में दूरबीन विधि से भी आगे रोबोटिक सर्जरी का चलन होगा। उन्होंने बताया कि दूरबीन विधि से आपरेशन करने में मैन पावर भी कम होती है 4 से 5 लोग की आवश्यता पडती है। जबकि रोबोटिक सर्जरी में एक डाक्टर और सहायक ही काफी होंगे। यही नही रोबोटिक सर्जरी से मरीजो को काफी लाभ मिलेगा और जो गांठ पेट के अन्दर होगी वहां तक सर्जरी करने में आसानी होगी।
- मुख और ब्रेस्ट कैंसर तेजी पसार रहा पांव
यूपीएसआईकॉन-2025 के वर्कशॉप में लखनऊ केजीएमयू से आए वरि. सर्जन डॉ अभिनव अरूण ने बताया कि अधिकांश कैंसर तम्बाकू, गुटखा शराब और सिगरेट से बढ़ रहा है जो युवाओ को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। वहीं महिलाओ में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि मुंह का कैंसर यानी की ओरल कैंसर तेजी से बढ़ रहा जिसका कारण अशुद्व पानी का सेवन है। क्यो कि पीने के पानी में (हैलिको बैक्टर पाइलोरी) पाया जाता है जो पेट में जाकर चिपक जाता है और कैंसर को बनाता है। वही भारत में नानवेज खाने वालो के बारे में बताया कि प्रोटीन जब डायजेस्ट होता है तो कोलेन से नाइट्रोजामीन कैंसर कम्पाउण्ड बनता है।