संघर्ष का एक वर्ष पूरा होने पर केस्को में बिजली कर्मियों का हुजूम उतरा सड़कों पर
U- बिजलीघर गेट पर ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन
U-निजीकरण और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के विरोध में बिजली कर्मियों को मिला देशव्यापी समर्थन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | कर्मचारियों की रियायती बिजली की सुविधा समाप्त किये जाने, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण तथा कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं का समाधान ना किये जाने के विरोध में चल रहे आंदोलन का एक साल पूरा होने पर आज केस्को के साथ साथ देश भर में लाखों बिजली कर्मियों ने सड़कों पर उतर कर जोरदार विरोध किया। विरोध प्रदर्शन सभा में बिजली कर्मियों ने एक साल के सतत संघर्ष के क्रम में संकल्प लिया कि जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और आंदोलन के चलते बिजली कर्मियों पर की गई समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस नहीं ली जाती तब तक लगातार आंदोलन जारी रखेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे के झूठे आंकड़े देने के अलावा पावर कार्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण के लिए बड़े पैमाने पर बिजली कर्मियों पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां कर रहा है। संघर्ष समिति ने बताया कि विगत एक वर्ष में केस्को मे 500 से अधिक अत्यंत अल्पवेतन भोगी संविदा कर्मियों को निकाल दिया गया है। बायोमैट्रिक अटेंडेंस के नाम पर कर्मचारियों के वेतन को रोका जा रहा है और वेतन से अनुचित कटौती की जा रही है! कार्यालय समय के उपरांत पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का बहिष्कार करने वाले 87 विद्युत अभियंताओं को चार्ज शीट दी गई और उनका प्रमोशन रोक दिया गया है। मार्च 2023 के आंदोलन के फलस्वरूप बिजली कर्मियों पर की गई उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बावजूद वापस नहीं ली गई है, जिसमे केस्को मे सैकड़ों संविदा कर्मचारी दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं! संघर्ष समिति ने बताया की बिजली कर्मियों की रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने की दृष्टि से जबरदस्ती बिजली कर्मियों और पेंशनरों के घरों पर प्रीपेड मीटर लगाया जा रहे हैं। जिसके लिए कर्मचारियों की मेडिकल, समयबद्ध वेतनमान की फाइलें बिना किसी कारण रोकी जा रही हैं, यही नही कर्मचारियों द्वारा अपने बच्चों की शादी के लिए फण्ड खाते से पैसा निकालने के किये गये अवेदन भी जबरन बिना किसी कारण रोके जा रहे हैं!संघर्ष समिति ने कहा कि इन सब यातनाओं के बावजूद बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर पिछले एक वर्ष से लगातार संघर्षरत है और सड़कों पर उतर रहे हैं। संघर्ष समिति का निर्णय है कि जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाही समाप्त नहीं की जाती तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा चाहे कितने वर्ष व्यतीत हो जाए।