5 मिनट के अन्दर सीपीआर देकर बचायी जा सकती है मरीज की जान
U-समय परिवर्तन के चलते बच्चो में 43 फीसदी बीपी व 25 फीसदी हार्ट और किडनी की बीमारी से हो रहे ग्रस्ति
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज से सम्बंद्ध लाला लाजपत राय चिकित्सालय में स्थित ब्लड बैंक में बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ ए.के.आर्या, वरिष्ठ बाल रोग चिकित्सक डॉ यशवंत राव व अन्य राज्य व दजनपद से आए डॉक्टरो द्वारा सीपीआर के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ सभी चिकित्सको ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
कार्यक्रम में सीपीआर के बारे में जानकारी देते हुए डॉ यशवंत राव ने बताया कि सीपीआर देकर किस प्रकार मरीज को बचाया जा सकता है इसके लिए मरीज को पांच मिनट के अन्दर सीपीआर देनी होती है अगर एक भी मिनट की देर होती है तो 17 प्रतिशत जान बचाने का चांस खत्म हो जाता है। उन्होंने सीपीआर विधि को किस प्रकार किया जाता है इसका प्रजेंटेशन कर दिखाया। वहीं मध्य प्रदेश के छतरपुर से आए वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ए.के. रावत ने बताया कि बच्चो किन -किन तरह की परेशानियों होती है या हो सकती है जिसके बारे में उन्होंने कुछ लक्षणो के बारे में जानकारी दी जिसमें प्रमुख रूप से बच्चे का सुस्त होना या बेहाश होना, सांस लेने में दिक्कत और खरखराहट का होना, बच्चो के स्क्नि में दाग पडना, नाडी का तेज चलना जैसे लक्षण से बच्चे को डायरिया या निमोनिया हो सकता है। अगर समय पर इसकी पहचान कर ली जाए तो बच्चे को बचाया जा सकता है जिसे एडवांस लाइफ स्पोट कहते है। ऐसे लक्षणो में डायग्नोस बाद में किया जाता है सबसे पहले बच्चे का इलाज तुंरत शुरू कर देना चाहिए। इसी क्रम में भोपाल एम्स से आए डॉ गिरीश भट्ट ने बताया कि अब समय परिवर्तन के कारण 43 फीसदी बच्चे बीपी की शिकायत और 25 फीसदी बचचे हार्ट और किडनी से पीड़ित आ रहे है। इस कार्यशाला में मुख्य रूप से डॉ प्याली भट्टाचार्या झांसी मेडिकल कालेज, वाराणसी से डॉ सुनील कुमार, डॉ अमितेश यादव वरिष्ठ किचकित्सक बाल रोग मौजूद रहे।