कानपुर आप्थोमालॉजी कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन
U-विभिन्न जनपदो से आए डाक्टरो ने रखे अपने विचार
U-अगामी वर्ष 2050 तक 1.8 से लेकर 18 प्रतिशत तक लोगो में बढेगा चश्में का नम्बर
U-स्टेम सेल विधि आने वाले समय में बहुत कारगर होगी साबित: डॉ पुरेन्द्र भसीन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के सभागर में कानपुर आप्थोमॉलाजी कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथ कानेज प्राचार्य प्रो0 डॉ संजय काला, ग्वालियर से आए डॉ पुरेन्द्र भसीन , लखनउ से आए डॉ पुष्पराज सिंह, मेरठ से आए डॉ करन भाटिया व नेत्र रोग विभाग कि विभागध्यक्ष डॉ शालीनि मोहन द्वारा दीप प्रज्जवलन कर एवं मां सरस्वती गायन के साथ किया गया। इस कन्क्लेव में विभिन्न जनपदो से आए वरिष्ठ डाक्टरो ने आंखो की बामारी और उसके बचाव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
कानपुर आप्थोमॉलाजी कॉन्क्लेव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्राचार्य प्रो0 डॉ संजय काला ने उपस्थित लोगो को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में अंधता को मिटाना और इसमें कमी लाने के लिए हम सब प्रयासरत है और अब तो ऐसी विधियां आ गई है जिससे आंखो की गई रोशनी को भी वापस लाना संभव हो रहा है ,लेकिन यह भी मरीज की बीमारी और स्थिति पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि हम सभी को ईमानदारी, निष्ठा और अपने कर्Ÿाव्यों का निर्वाहन करते हुए मरीज को पूरी तरह से ठीक करने का प्रयास करना है ताकि हम एक नई उपलब्धि की ओर अग्रसर हो सके। इसी क्रम में आगे ग्वालियर से आए डॉ पुरेन्द्र भसीन ने बताया कि सर्जिकल स्किल इण्टरनेशन में सर्जरी को लेकर बहुत ही उन्नित की है। आज बच्चो में चश्मा लगा सबसे ज्यादा देखा जा रहा है जिसका मुख्य कारण ज्यादातर समय मोबाइल ,कम्प्यूटर और लैपटाप को देना है जिसके कारण विटामिन डी की कमी हो जाती है और आंखो पर लगे चश्में का नम्बर बढ़ता ही चला ता है। उन्होंने बताया कि अगामी वर्ष 2050 तक 1.8 से लेकर 18 प्रतिशत तक लोगो में चश्में का नम्बर बढ़ जाएगा जो कि अलग-अलग तरीके और कारणो से बढ़ेगा। उन्अब बच्चो के चश्में के नम्बर को वही पर रोकने के लिए कई तरह के विशेष डाप और दवाएं आ गई है जो कि बच्चे के मर्ज के अनुसार उसे दी जाएगी। इसी क्रम में लखनउ से आए कार्निया स्पेशिलिस्ट डॉ पुष्पराज सिंह ने बताया कि उन्होंने विगम पांच वर्षो में 60 से 70 कार्नियां टांसप्लांट किए है। अब ऐसी आधुनिक विधि आ गई है , जिसका प्रयोग कर मरीज की आंखो की रोशनी को बचाया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कैमिकल्स इंजरी जैसे आंखो में चूने का चला जाना या फिर एसिड पड जाना जैसे मामलो में डोनर से कार्निया लेकर उसका उपचार किया जाता है। इस विधि मेंस्टेम सेल विधि बहुत ही कारगर साबित होती है। अब तक 5 से लेकर 15 मरीजो पर स्टेम सेल विधि का प्रयोग कर उन्हें ठीक किया गया है। स्टेम सेल विधि का प्रयोग उसी स्थिति में होता है जो अंग प्रभावित होता है उसके अंग के दूसरे हिस्से से स्टेम सेल लेकर उसको विधि द्वारा ठीक किया जाता है। वही मेरठ के मानकतला से आए डॉ करन भाटिया ने बताया कि वह एक कार्नियां टांसप्लांट सर्जन है। एक आंख कि कार्नियां में अल्सर होने पर उसकी पूरी पुतली को बदल दिया जाता है जबकि दूसरे तरीके में बिना टांके के ही मरीज की सर्जरी कर उसे 30 मिनट बाद घर भेज दिया जाता है। उन्होंने बताया कि अब ऐसे एडवांस लेंस आ गए है जो कि आंखो की रोशनी को वही पर स्थिर करने में बहुत ही कारगर साबित हो रहे है। इस दौरान मुख्य रूप से वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ अवध दुबे, डॉ पारुल सिंह, डॉ नम्रता पटेल, डॉ , मनीष महेंद्र, डॉ मोहित खत्रि, डॉ सुरभि अग्रवाल समेत सभी संकाय सदस्य मौजूद रहे।