"विश्व सोरायसिस दिवस" पर यूपीयूएमएस में जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस सैफई।विश्व सोरायसिस दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (यूपीयूएमएस), सैफई में “सोरायसिस शर्म की नहीं, समझ की बात है।
सही जानकारी, सही इलाज और सही सहयोग — यही स्वास्थ्य की असली चाबी है।”की थीम पर जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में सोरायसिस एवं वाइटिलिगो(श्वेत कुष्ठ) जैसे त्वचा रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनसे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना था।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ रमाकांत ने कहा कि" विश्व सोरायसिस दिवस केवल एक त्वचा रोग के प्रति जागरूकता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह संवेदनशीलता, सहानुभूति और सामाजिक स्वीकार्यता का प्रतीक भी है।"
त्वचा रोग विभागध्यक्ष डॉ श्वेता ने बताया कि सोरायसिस एक दीर्घकालिक, प्रतिरक्षा-संबंधी त्वचा रोग है, जिसमें त्वचा की कोशिकाएँ अत्यधिक तेजी से बढ़ती हैं, जिससे लाल चकत्ते और परतदार त्वचा बन जाती है।
यह रोग न तो संक्रामक है और न ही लाइलाज — इसे नियमित उपचार, सही जीवनशैली और मानसिक शांति के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि विभाग की पहल के अंतर्गत, प्रत्येक "मंगलवार" को “सोरायसिस एवं वाइटिलिगो (श्वेत कुष्ठ) ओपीडी” शुरू की गई है।
इस विशेष ओपीडी का उद्देश्य इन रोगों से पीड़ित मरीजों को एक ही स्थान पर समग्र परामर्श, उपचार, फॉलो-अप और मानसिक सहयोग प्रदान करना है।
यूपीयूएमएस में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम प्रत्येक मरीज की स्थिति का आकलन कर व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार करती है।
उपचार के अंतर्गत —
हल्के मामलों में टॉपिकल क्रीम, मॉइश्चराइज़र और स्टेरॉयड मरहम दी जाती हैं,
जबकि गंभीर मामलों में फोटोथैरेपी, इम्यूनोमॉड्यूलेटर दवाएँ एवं बायोलॉजिकल एजेंट्स जैसे आधुनिक उपचारों का प्रयोग किया जाता है।
इसके साथ ही योग, ध्यान और तनाव नियंत्रण को भी उपचार का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है।
डॉ श्वेता ने कहा कि सोरायसिस केवल त्वचा की बीमारी नहीं है, बल्कि मन और समाज दोनों से जुड़ी चुनौती है जिसका इलाज संभव है घबराएं नहीं अगर समस्या है तो ओपीडी में आकर जरूर दिखाएं इसलिए मरीजों के प्रति समाज की सोच और संवेदनशीलता में बदलाव आवश्यक है।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित प्रति-कुलपति, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, चिकित्सा अधीक्षक, संकाय सदस्यगण, छात्र-छात्राएँ तथा बड़ी संख्या में मरीज एवं उनके परिजन ने यह संकल्प लिया कि वे सोरायसिस और वाइटिलिगो से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने तथा प्रत्येक मरीज को सम्मान, सहयोग और आशा प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाएँगे।