यूपीयूएमएस को मिला मेडिकल डिवाइस सेफ्टी रिपोर्टिंग सेंटर का दर्जा”
*भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा दिया गया मान्यता एवं प्रमाणपत्र
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस सैफई इटावा। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय , सैफई को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारतीय फार्माकोपिया आयोग, गाजियाबाद द्वारा चिकित्सा उपकरणों से संबंधित प्रतिकूल प्रभावों की रिपोर्टिंग हेतु अधिकृत केंद्र के रूप में मान्यता एवं प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है।
इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय फार्माकोपिया आयोग द्वारा यूपीयूएमएस को मिली यह मान्यता विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है। इससे चिकित्सा अनुसंधान, शिक्षा और जनभागीदारी के माध्यम से मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नई दिशा मिलेगी।”
इस केंद्र की समन्वयक के रूप में फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. आशा पाठक को नामित किया गया है।
आईए जानते हैं "मेडिकल डिवाइस सेफ्टी रिपोर्टिंग सेंटर" क्या है ?
चिकित्सा उपकरणों (जैसे स्टेंट, इम्प्लांट, डायलिसिस सेट, सर्जिकल उपकरण, मॉनिटरिंग डिवाइस आदि) के उपयोग के दौरान उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल घटनाओं की पहचान, विश्लेषण और रिपोर्टिंग के माध्यम से रोगी सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना है।
इस केंद्र की विशेषता यह है कि इसमें केवल चिकित्सक ही नहीं, बल्कि आम जनता और मरीज भी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। यदि किसी मरीज को किसी चिकित्सा उपकरण के प्रयोग के बाद कोई असामान्य प्रभाव या परेशानी महसूस होती है, तो वह इसकी जानकारी सीधे विश्वविद्यालय के इस केंद्र को दे सकता है। यह सूचना एक सक्षम समिति द्वारा जाँची जाएगी और आवश्यक होने पर भारतीय फार्माकोपिया आयोग को भेजी जाएगी, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर उपकरणों की सुरक्षा की निगरानी की जा सके।
केंद्र की समन्वयक प्रोफेसर डॉ. आशा पाठक ने बताया कि इस पहल से न केवल डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों में उपकरणों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि आम जनता भी इसमें सहभागी बन सकेगी। किसी भी प्रतिकूल घटना की रिपोर्ट करना मरीज सुरक्षा में सक्रिय योगदान देना है। यूपीयूएमएस भविष्य में इस विषय पर प्रशिक्षण एवं जनजागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करेगा ताकि अधिक से अधिक लोग इस प्रयास से जुड़ सकें।”
भविष्य में यह केंद्र ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को चिकित्सा उपकरणों के सुरक्षित उपयोग और रिपोर्टिंग प्रक्रिया के प्रति संवेदनशील बनाएगा। यह पहल “स्वस्थ भारत, सुरक्षित भारत” के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।