कॉम्प्लेक्स हार्ट डिफेक्ट से ग्रस्त 8 महीने के बच्चे को न्यूनतम इनवेसिव से किया ठीक
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | पारस हेल्थ, कानपुर ने एक बड़ी मेडिकल उपलब्धि हासिल की है। यहाँ 8 महीने की उमेऱा खानम नाम के बच्ची के बड़े पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस को सफलतापूर्वक बंद किया गया। यह कॉम्प्लेक्स पीडियाट्रिक कार्डिएक प्रक्रिया सेंटर में पहली बार की गई और इसे डॉ. श्रिपाद (सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट) की विशेषज्ञ देखरेख में पूरी सटीकता के साथ किया गया। यह प्रक्रिया हॉस्पिटल की एडवांस्ड कैथ लैब में मिनिमली इनवेसिव तकनीक से की गई। इस कारण से ओपन-हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ी। अब बच्ची ठीक है और तेजी से रिकवर हो रही है। यह उपलब्धि पारस हेल्थ कानपुर की शहर में स्पेशलिस्ट पीडियाट्रिक कार्डिएक केयर की बढ़ती क्षमता को दर्शाती है। पीडीए एक जन्मजात हृदय से संबंधित समस्या होती है। यह अक्सर समय से पहले जन्मे बच्चे में होता है। अगर इस समस्या का इलाज़ समय रहते न किया जाए तो आगे चलकर गंभीर समस्या हो सकती है। 1 साल से कम उम्र के बच्चे में इस तरह के हाई रिस्क केस को संभालने में खास करके कैथेटर बेस्ड एप्रोच को अमल में लाना हॉस्पिटल की कॉम्प्लेक्स, जीवन रक्षक हार्ट प्रक्रियाओं को लोगों तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
डॉ श्रीपद खैरनार, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, पारस हेल्थ कानपुर ने इस केस को बहुत सटीकता के साथ संभाला। इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “इस जन्मजात हृदय बीमारी को आमतौर पर दिल में छेद या सुराग कहा जाता है। बच्चों में यह एक आम समस्या है। ये बीमारी गंभीर समस्याएँ पैदा करती हैं। अगर शिशु को साँस लेने में तकलीफ़, तेज़ साँसें, बार-बार सीने में संक्रमण, विकास में कमी, मुँह से पर्याप्त भोजन न लेना, स्तनपान के दौरान पसीना आना, चिड़चिड़ा और सुस्त शिशु या रोने पर नीला शिशु हो, तो शिशु में जन्म दोषों का आसानी से पहचान किया जा सकता है। जन्म दोषों को जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए। इसका इलाज एक ही बार में होता है और लंबे समय तक इलाज की ज़रूरत नहीं होती है। एक बार बीमारी का इलाज होने पर बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है। वर्तमान में बहुत कम हॉस्पिटल ऐसा कर रहे हैं और कानपुर का पारस यश कोठारी भी इनमें से एक है। पारस हेल्थ कानपुर में शहर की सबसे एडवांस्ड कैथलैब और सर्वश्रेष्ठ कार्डिएक टीम है। कानपुर के लोगों को इस सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।”इस प्रक्रिया में अत्यधिक सटीक कैथेटर-आधारित तकनीकें और रीयल टाइम इमेजिंग का इस्तेमाल हुआ। इससे छेद को मिनिमली इनवेसिव तरीके से सुरक्षित रूप से बंद किया जा सका, जिससे रिकवरी का समय काफी कम हो गया और कॉम्प्लिकेशन का खतरा बहुत कम हो गया। यह इस क्षेत्र में पीडियाट्रिक कार्डिएक केयर के लिए एक नया स्टैंडर्ड भी स्थापित करता है और पारस हेल्थ की कैथ लैब टीम और क्लीनिकल स्पेसिलिटीज के स्किल और समन्वय को दर्शाता है।